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दो राज्यों और एमसीडी का चुनाव 2022 – चुनावी मौसम आया, आरोप-प्रत्यारोप का दौर दोहराया 

मिशन बनाम कमीशन

 

 

 

डिजिटल और मीडिया क्रांति के युग में अब, ए बाबू ये तो पब्लिक है ये सब जानती है -एडवोकेट किशन भावनानी

 

गोंदिया – भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और भारत की अनेक खूबसूरतीयों में से एक है भारतीय लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया को पूरी दुनिया में बहुत श्रद्धा सम्मानित रूप से,एक आइडियल के रूप में देखा जाता है जो भारत के लिए एक गर्व की बात है। चुनावी प्रक्रिया संपन्न करने के लिए भारत में एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था भारतीय चुनाव आयोग है जो जिम्मेदारी से चुनावी प्रक्रिया संपन्न करवाता है।

साथियों बात अगर हम हिमाचल गुजरात और एमसीडी चुनाव मिशन इलेक्शन 2022 की करें तो पिछले कुछ दिनों से हम देख रहे हैं कि हर राजनीतिक पार्टी अपनेअपने स्तर पर विनिंग फैक्टर तलाश कर तात्कालिक राजनीतिक रोडमैप बना कर काम शुरू कर दिया है जो गतिविधियां हम आए दिनों टीवी चैनलों पर और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में देख रहे हैं उसके आधार पर ऐसा लग रहा है कि, पार्टियां विकास मुद्दे के साथ-साथ धार्मिक, सामाजिक, जातिवाचक आरक्षित वर्ग, नेतृत्व क्षमता मिशन बनाम कमीशन सहित हर बारीक और छोटे से छोटी समाधान कारक बात और मुद्दों को अपने रणनीतिक रोडमैप में शामिल कर रहे हैं।

साथियों बात अगर हम मिशन बनाम कमीशन की करें तो आज हरपार्टी अपने आप को पाकसाफ़ बताकर अपने मिशन और प्रतिद्वंदी पार्टी के कमीशन गिना रहे हैं एक पार्टी के अध्यक्ष ने 4 नवंबर 2022 को चुनावी रैली के संबोधन में कहा कि हम सेवा करने वाले लोग हैं और वो मेवा खाने वाले लोग हैं। हम मिशन से काम करते हैं, वो कमीशन के लिए काम करते हैं। अपने बयान में उन्होंने कहा कि आज दुनिया में एक शख्सियत के कारण देश की तस्वीर बदल गई है। उन्होंने दावा किया कि आज मोबाइल उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है, स्टील उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है, सौर ऊर्जा में हम पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ब्रिटेन को पछाड़ कर भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। एक जमाने में हमारी बहनें 5 बजे सुबह उठकर जंगल में जाकर लकड़ी काटती थीं। फिर उसे लाकर सुखाती थी, 200 सिगरेट का धुआं फेफड़ों में लेकर चूल्हा जलाती थीं। उन्होंने कहा कि देश में ट्यूबरक्लोसिस की दवा आने में 25 साल लग गए। टिटनेस की दवा पहुंचने में 30 साल लग गए। पोलियो की दवा पहुंचने में 28 साल लग गए। जापानी बुखार की दवा पहुंचने में 100 साल लग गए। हमारे नेता के नेतृत्व में सिर्फ 9 महीने के अंदर कोरोना की वैक्सीन भारत ने बनाई।उन्होंने कहा कि देश में ट्यूबरक्लोसिस की दवा आने में 25 साल लग गए। टिटनेस की दवा पहुंचने में 30 साल लग गए। पोलियो की दवा पहुंचने में 28 साल लग गए। जापानी बुखार की दवा पहुंचने में 100 साल लग गए। जबकि मोदी जी के नेतृत्व में सिर्फ 9 महीने के अंदर कोरोना की वैक्सीन भारत ने बनाई। वैसे भी इस पार्टी के लॉन्ग टाइम मिशन 2047 5 ट्रिलियन डॉलर भारतीय अर्थव्यवस्था इत्यादि अनेक विजन शुरू है।

साथियों बात अगर हम दूसरी तरफ अपने नए अंदाज वाली राजनीति में देश की तीसरी पार्टी की कतार में सबसे आगे वाली पार्टी की करें तो पहली बार एक तीसरी पार्टी ने अपनी शिक्षा नीति फ़्री सेवाओं और अन्य मुद्दों के साथ अपनें नए तरीके से गुजरात मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा जनता के चुनाव प्रक्रिया से घोषित किया, उनके नाम का ऐलान किया। उन्होंने कि गुजरात की जनता ने अपना सीएम चुन लिया है। हमने सीएम पद के लिए सुझाव मांगे थे, हमारे पास 16 लाख 48 हजार लोगों का जवाब आया था। जिसमें 73 फीसदी लोगों ने उमीदवार का नाम लिया,पार्टी संयोजक ने खुद इसका एलान किया। ये गुजरात के एक विशेष समाज से आते हैं। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश अध्यक्ष को सीएम का फेस बनाया जा सकता है। पार्टी ने पंजाब की तरह यहां भी सीएम पद के उम्मीदवार के लिए सर्वे कराया था। सर्वे में उम्मीदवार को 73 फीसदी लोगों का वोट मिला।

साथियों बात अगर हम खूबसूरत भारतीय लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के पक्ष की वेकन्सी की करें तो, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, ग्राम सभा या स्थानीय निकायों में जनप्रतिनिधियों के कितने पद होते हैं, लोकसभा (545) और राज्यसभा (245) मिलाकर 790 (इनमें से 14 मनोनीत), विभिन्न राज्यों के लिए विधायक (एमएलए), विधान परिषद (एमएलसी) के 4574 से भी ज्यादा और ग्राम सभा या स्थानीय निकायों में प्रधानी (मुखिया), वार्ड पार्षद, जिला परिषद, नगर निगम/परिषद के देशभर में लाखों पद हैं। अगर इन पदों पर शिक्षित, प्रशिक्षित, नैतिकवान और सेवाभाव रखने वाले युवा जाएं तो निश्चित ही देश, राज्य और पंचायत की स्थिति बदलेगी।

साथियों बाद अगर हम भारतीय लोकतंत्र और सरकार की करें तो, संविधान के अनुसार,भारत एक प्रधान,समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर विधायिका जनता के द्वारा चुनी जाती है। अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, जो कि ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है। बहुमत की स्थिति में न होने पर मुख्यमंत्री न बना पाने की दशा में अथवा विशेष संवैधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्कासित कर सकती है और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है। भारत की पूरी राजनीती मंत्रियों के द्वारा निर्धारित होती है। भारत एक लोकतांत्रिक, धार्मिक और सामुदायिक देश है। जहां युवाओं में चुनाव का बढ़ा वोट केंद्र भारतीय राजनीति में बना रहता है यहां चुनाव को लोकतांत्रिक पर्व की तरह बनाया जाता है। भारत में राजनीतिक राज्य में नीति करने की तरह है।

साथियों बात अगर हम अपने बचपन में सुनी राजनीति, जवाबदारी और राजनीतिक सेवा भाव की करें तो, लाल बहादुर शास्त्री ने रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 1956 में महबूबनगर रेल हादसे में 112 लोगों की मौत हुई थी। इस पर शास्त्री ने इस्तीफा दे दिया। इसे तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने स्वीकार नहीं किया। तीन महीने बाद ही अरियालूर रेल दुर्घटना में 114 लोग मारे गए। उन्होंने फिर इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफा स्वीकारते हुए संसद में कहा था कि वह इस्तीफा इसलिए स्वीकार कर रहे हैं कि यह एक नज़ीर बने। इसलिए नहीं कि हादसे के लिए किसी भी रूप में शास्त्री जिम्मेदार हैं।

साथियों यह तो नहीं कहा जा सकता कि किसी भी पार्टी ने अपनी सरकार में सभी वादों को पूरा किया है, लेकिन कुछ पार्टियों ने अधिकतम वादों को पूरा करके उन्होंने जनताके बीच लोकप्रियता हासिल की है। जैसे यूपी में सरकार ने कुछ हद तक कानून व्यवस्था को ठीक किया है तथा राज्य की जनता के लिए कई लोक कल्याणकारी स्कीम चलाई, तो वहीं एक पार्टी ने दिल्ली के लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करके इसी मॉडल का पंजाब में खूब प्रचार किया और जनता से भरोसा हासिल किया। ऐसे में हिमाचल गुजरात और एमसीडी 2022 का चुनाव यह दिखाता है कि अगर आप जनता से कुछ वादे करते हैं, तो उसे जरूर निभाएं। नहीं तो जनता अगली बार आपको सत्ता से बाहर कर देगी।

साथियों जनता अपने क्षेत्र और देश के विकास के बारे में जानना चाहती है। क्षेत्र या देश की मजबूती के लिए किसी पार्टी की क्या योजना है, उसके बारे में जनता को बताना जरूरी है। अगर जनता को लगा कि आप केवल सत्ता में आने के लिए और गिने चुने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, तो जनता आपको कभी वोट नहीं देगी। आपके पास क्षेत्र या देश के विकास का ब्लू प्रिंट होना चाहिए। और इसे आप जनता के बीच ले जाइए और उन्हें समझाइए। इससे जनता के बीच आपकी पार्टी पर भरोसा होगा और वह आपको वोट भी देंगे।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चुनाव में अब मिशन बनाम कमीशन, दो राज्यों और एमसीडी चुनाव चुनावी मौसम आया आरोप-प्रत्यारोप का दौर दोहराया, डिजिटल और मीडिया क्रांति के युग में अब, ए बाबू ये तो पब्लिक है ये सब जानती है।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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