संवाददाता /रघुनाथ सिंह /ख़बर दृष्टिकोण /लखनऊ
-इंडियन मोटैलिटी एंड फंक्शनल डिजीज एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन में डॉक्टर ने
-जंम से कम थी आंत की चाल और आंत में थी गांठ
नेपाल की 16 वर्षीय रंजीता को जंम से पेट में कब्ज की समस्या थी। मल से रक्तस्राव भी हो रहा था। नेपाल में काफी इलाज कराया। फायदा न होने पर परिजन बेटी को लेकर पीजीआई पहुंचे। यहां गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग में इलाज चला। जिसके चलते रंजीता की कब्ज व खून के स्राव दिक्कत हमेशा के लिए दूर हो गई। यह मामला अंसल एपीआई में आयोजित इंडियन मिलिट्री एंड फंक्शनल डिजीज एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन में पीजीआई के गैस्टोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. आकाश माथुर ने पेश किया।
आंत की चाल धीमी थी
डॉ. आकाश माथुर ने बताया कि रंजीता को आंत में दो दिक्कतें थी। जिसमें जंम से आंत की चाल धीमी थी। आंत की मांसपेशियां कमजोर हो गई थी। जिसकी वजह से कब्ज की दिक्कत थी। लड़की को डायवर्टीकुलम जन्मजात विसंगति भी थी। जिसकी वजह से मल से रक्तस्राव हो रहा था। पहले उपचार कर आंत की धीमी चाल को बढ़ाया गया। इससे कब्ज से राहत मिली। उसके बाद रक्तस्राव का उपचार कर इसे भी रोका गया। रक्तस्राव बंद होने से रंजीता का हीमोग्लोबिन रुक गया। जिससे दोनों परेशानियों से राहत दिलायी। इंडियन मोटैलिटी एंड फंक्शनल डिजीज एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन में पीजीआई के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. यूसी घोषाल समेत अन्य पेट रोग विशेषज्ञों ने पेट की बीमारियों के उपचार से जुड़े कई मामले साझा किये।