खबर दृष्टिकोण, जिला संवाददाता अतुल कुमार श्रीवास्तव
बाराबंकी। सूबे की योगी सरकार जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण का अभियान चला रही है, देश के प्रधानमंत्री एक वृक्ष मां के नाम का संदेश दे रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर वन माफियाओं के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के कुछ भ्रष्टाचारी कर्मियों की मिलीभगत के कारण ये माफिया बेखौफ होकर पर्यावरण और वन संपत्ति स्वच्छ वातावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मामला जनपद मुख्यालय से लगे वन विभाग के हरख क्षेत्र में बबुराबांध मार्ग स्थित वजीउद्दीनपुर का है जहां वन माफिया का आतंक देखने को मिला। रविवार की देर रात्रि वन माफियाओं ने प्रतिबंधित आम के वृक्षों पर आरा चलाकर धराशाई कर दिया। सुबह होते-होते प्रतिबंधित पेड़ों का उक्त स्थान से नामोनिशान तक मिटा दिया गया। शिकायत होने पर वन विभाग की टीम मौक़े पर निरीक्षण की खानापूर्ति कर वापस लौट गई। इस संबंध में वन दरोगा सचिन पटेल ने बताया कि टीम भेज कर वृक्षों का आंकलन किया गया है। उक्त प्रकरण में जुर्माने की कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही बंकी क्षेत्र के छेदानगर गांव में भी वन माफियाओं द्वारा प्रतिबंधित वृक्षों को काटकर धराशाई किया गया जिसकी वन विभाग के कर्मी ने अपने स्तर से ले-देकर व्यवस्थित कर लिया जिसकी भनक भी विभाग को शिकायत करने के बाद लगी। वहीं इस संबंध में डीएफओ से शिकायत की गई तो उन्होंने बताया कि जांच के बाद उचित कार्यवाही की जाएगी। जिले में विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध वृक्षों को काटकर नष्ट किया जा रहा है। शिकायत पर वन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा मात्र खानापूर्ति करते हुए मामले को रफा-दफा कर दिया जा रहा है। जिसको लेकर वन विभाग के कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। पेड़ो की अवैध कटान की शिकायत पर वन विभाग द्वारा की जाने वाली जुर्माने की कार्यवाही वन माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। भ्रष्टाचार को संरक्षित करने वाले कर्मचारी दोषियों के लिए ढाल बनकर तैनात रहेंगे, तो माफियाओं की गतिविधियों पर अंकुश कैसे लगेगा?