*खबर दृष्टिकोण लखनऊ*
*आशीष कुमार सिंह विशेष संवाददाता*
*लखनऊ* यदि आप मकान बनवाने के लिए मलिहाबाद के माल ब्लाक की ग्राम पंचायत थरी में साहू लैडंमार्क में जमीन खरीदने जा रहे हों, तो पहले जमीन की पूरी पड़ताल कर लें। कहीं ऐसा न हो कि कारोबारी आपको हरित पट्टी या पार्क के लिए सुरक्षित जमीन बेच दे। बाद में आपके हाथ से जमीन चली जाए और बदले में मुआवजा तक न मिल सके। क्योंकि, अब जमीन की रजिस्ट्री कराते समय उसमें यह लिखना होगा कि खरीदार द्वारा महायोजना में प्रस्तावित भू-उपयोग के विरुद्ध कोई निर्माण किया जाता है तो रजिस्ट्री स्वत: निरस्त हो जाएगी।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने महानगर में हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त करने पर चिंता जताते हुए आदेश दिया है कि महायोजना में प्रस्तावित पार्क, खुले क्षेत्र और हरित पट्टी की जमीन पर अवैध निर्माण न हो। जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई जा सके, इसके लिए कई निर्णय लिए गए हैं। जिस प्रकार राजस्व विभाग द्वारा खतौनी में विभिन्न श्रेणी एवं विषय विवरण जैसे बंजर भूमि, खेतिहर भूमि, बाग, चारागाह, आबादी आदि दर्ज की जाती है, उसी तरह राजस्व विभाग द्वारा उक्त श्रेणियों में नई श्रेणी शामिल करते हुए पार्क, खुले क्षेत्र, हरित पट्टिका को भी श्रेणीबद्ध किया जाए, जिससे जमीन की खरीद-फरोख्त के समय खरीदार और बेचने वाले को भू उपयोग की जानकारी हो सके। लखनऊ विकास प्राधिकरण, आवास एवं विकास परिषद तथा विनियमित क्षेत्र को अपने-अपने क्षेत्र में अंकित पार्क, खुले क्षेत्र, हरित पट्टी, भू उपयोग का राजस्व अभिलेख विवरण, गाटा संख्या, खसरा संख्या, आराजी संख्या, क्षेत्रफल आदि का विवरण तैयार कर जिलाधिकारी/ स्टांप एवं निबंधन विभाग को तत्काल उपलब्ध कराया जाए।
प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए हैं कि जहां-जहां पार्क व हरित पट्टी की भूमि स्थित है, वहां पर होर्डिंग लगाई जाए तथा प्राधिकरण द्वारा अपनी-अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए।
यहां तो मनमाने तरीके से बेची गई जमीन
लखनऊ में हरित पट्टी और पार्क के लिए आरक्षित जमीन बेचकर जमीन के कारोबारी मालामाल हो गए हैं।