कोंच- ग्राम गोराकरनपुर में चल रही श्री मद्भागवत कथा में बोलते कथा बाचक सुनाते सागर कृष्ण शास्त्री ने बताया कि काम का मर्दन करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने महारास की लीला संपन्न की जब काम तीनों लोको में अपनी विजय पताका लहराते वृन्दावन आया और भगवान श्री कृष्ण से कामदेव बोले कि मेरा विजय श्री तिलक करदो तब गोविंद ने कहा हमारे और तुम्हरे बीच में कोई युद्ध हुआ नहीं तब कैसे विजय तुम्हारी हो गई तब भगवान श्री कृष्ण के कहने पर कामदेव शरद पूर्णिमा की रात्रि में यमुना के पावन तट वृन्दावन के निधिवन में कन्हैया के साथ वहां पर आ गया तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी को बजाकर बृज की सभी गोपियों को निधिवन में बुला लिया।
ललिता विशाखा श्यामा राधा आदि सभी गोपियां कन्हैया की वंशी की धुन को सुनकर अपने कार्यों को त्यागकर कन्हैया के पास दौड़ी चली आती है भगवान श्री कृष्ण के साथ गोपियां नृत्य करने लगती है तभी कन्हैया गोपियों के मध्य से अंतर्धान हो जाते है तब राधा आदि गोपियां ने गोपी गीत के माध्यम से भगवान को पुकारा गोपियों के करुण पुकार को सुनकर भगवान श्री कृष्ण प्रगट हो जाते है
और सभी गोपियों के साथ वहां म हारास की संपन्न करते हैं कामदेव भगवान श्री कृष्ण के चरणों में प्रणाम करते है और क्षमा याचना मागते है और कन्हैया के कहने के अनुसार कामदेव भगवान श्री कृष्ण के बेटे प्रदुम्न बनकर आते हैनमहारास की पावन लीला में भगवान शंकर भी गोपी का वेश बनाकर आते है। तबसे भगवान शिव गोपेश्वर महादेव कहलाने लगे इस मौके पर परीक्षित श्री लल्लन प्रसाद निरंजन,ब्रजेश कुमार निरंजनजितेन्द्र कुमार निरंजन,धर्मेन्द्र कुमार निरंजन
गजेंद्र निरंजन वेदपाठी पवन चतुर्वेदी,मनोज पटेल रोजगार सेवक जीतू निरंजन,पुष्पेंद्र निरंजन,राजीव दुबे आदि कई लोग मौजूद रहे।
