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उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी एवं हिंदी विभाग आरएमपी पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में गुरमति साहित्य में राष्ट्रीय चेतना विषय पर आयोजित हुई एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

 

 

खबर दृष्टिकोण

ब्यूरो रिपोर्ट

सीतापुर।राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता, वसुधैव कुटुंबकम का मूल्य, सर्वधर्म समभाव तथा भारतीय दर्शन एवं चिंतन परंपरा का प्रमुख स्रोत गुरुग्रंथ साहिब रहा है और यह हम सब के लिए अनुकरणीय है। यह वक्तव्य आरएमपी पीजी महाविद्यालय के डॉ राम मनोहर लोहिया सभागार में उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी एवं हिंदी विभाग आरएमपी पीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में गुरमति साहित्य में राष्ट्रीय चेतना विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला की कुलाधिपति एवं पद्मश्री डॉ प्रोफेसर हर महेंद्र सिंह बेदी ने दिया।

इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रांतों से आए विशिष्ट वक्ताओं ने गुरमति साहित्य में राष्ट्रीय चेतना के विभिन्न विषयों गंभीर एवं विशद चर्चा की तथा शोधार्थियों एवं छात्रों का विषय पर प्रबोधन किया। कार्यक्रम की शुरूआत में पुष्पगुच्छ अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। इस कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ गुरनाम कौर बेदी, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय अजराला अमृतसर, डॉ बलजीत श्रीवास्तव, सहायक आचार्य, बीबीए केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, प्रोफेसर सर्वेश कुमार मिश्रा, आचार्य, एफएए राजकीय महाविद्यालय महमूदाबाद, सीतापुर, मेजर डॉ मनमीत कौर सोढ़ी, विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र नवयुग कन्या महाविद्यालय लखनऊ, डॉ प्रशांत सिंह सहायक आचार्य सीजीएम पीजी कॉलेज गोला लखीमपुर खीरी तथा देश के विभिन्न प्रांतों से कई विद्वान प्रोफेसर एवं शोधार्थियों ने प्रतिभाग किया। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर रजनीकांत श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि गुरमति साहित्य विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा एवं वैचारिकी को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और गुरमति साहित्य पर युवाओं को शोध के लिए आगे आना चाहिए। इस अवसर पर इंद्रजीत कौर की पंजाबी भाषा में लिखी पुस्तक इन्हा सुणों दीवी का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर रजनीकांत श्रीवास्तव एवं डॉ जयवीर सिंह ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह के तौर पर पौधा दिया। डॉ अर्चना सिंह, डॉक्टर अभिषेक कुमार, डॉ शशांक कुमार सिंह तथा डॉ दिनेश कुमार ने भी अतिथियों को पौधा दिया।

इस संगोष्ठी में संरक्षक द्वय के रूप में प्राचार्य प्रो रजनीकांत श्रीवास्तव एवं राज बहादुर, निदेशक, उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी लखनऊ तथा सह-संरक्षक द्वय के रूप में डॉ जयवीर सिंह एवं श्री अरविंद नारायण मिश्र जी ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक के रूप में महाविद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष अनूप कुमार गुप्ता तथा समस्त प्रबंध तंत्र ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं कार्यक्रम के आयोजन समिति के सदस्यों को बधाई दिया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ हरिकेश गौतम ने किया। इस संगोष्ठी का संयोजन डॉ शशांक कुमार सिंह एवं सह-संयोजन डॉ अभिषेक कुमार ने किया तथा आयोजन सचिव की भूमिका में डॉ सचिन पाठक रहे। इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए लगभग 150 से अधिक शिक्षाविदों, प्राध्यापकों एवं शोध छात्रों ने प्रतिभाग किया। डॉ जयवीर सिंह कार्यक्रम के अंत में सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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