खबर दृष्टिकोण
ब्यूरो रिपोर्ट
महोली /सीतापुर। कोतवाली क्षेत्र में बाघ का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन बाघ कहीं न कहीं मवेशी का शिकार कर निवाला बना रहा है। ग्रामीण दहशत में जीवन यापन कर रहे हैं। रविवार को प्यारेपुर अंडरपास के निकट ग्रामीणों ने बाघ को देखा था। वन विभाग ने मौके पर जांच कर पगचिह्न के आधार पर दो बाघों के होने का दावा किया था। सोमवार सुबह पीतमपुरग्रंट गांव में घर के बाहर बंधी अजीत की गाय को बाघ ने निवाला बनाया।
200 मीटर दूर ले जाकर एक गन्ने के खेत में उसने गाय को मारा। जहां पर बाघ के पगचिह्न मिले हैं। बाघ बीते तीन वर्षों से महोली इलाके के 12 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में चहलकदमी कर रहा है। ग्रामीणों ने बाघ के साथ शावक को भी देखा है। जिससे कयास लगाया जा रहा है कि इलाके में एक नहीं कई बाघ मौजूद हो सकते हैं।
वन विभाग भी इसकी पुष्टि कर चुका है। वन क्षेत्राधिकारी सिकंदर सिंह ने बताया कि बाघ ने एक मवेशी का शिकार किया है। पगचिह्न मिले हैं। कांबिंग के लिए टीम लगाई गई है। ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए जागरूक किया गया है।
नहीं काम आ रहे जतन
बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा और ट्रैकिंग कैमरा भी लगाए गए हैं, लेकिन बाघ की लोकेशन नहीं मिली है। दुधवा टाइगर रिजर्व की टीम ने वनकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया है। लेकिन बाघ लगातार वनकर्मियों को चकमा देकर प्रतिदिन कहीं न कहीं अपनी आमद दर्ज करा रहा है। क्षेत्र के ब्रह्मावली नरनी, कटिघरा, श्यामजीरा, कोल्हौरा, रुस्तमनगर, हर्रैया फत्तेपुर, चंद्रा, कारीपाकर, मढि़या समेत एक दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों में बाघ की दहशत बरकरार है।
