खबर दृष्टिकोण उन्नाव संवाददाता अजीत कुमार यादव
उन्नाव। भारत बंद का व्यापक का असर देखने को मिला, जहां बसपा और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर जोरदार आंदोलन किया। इन आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के आरक्षण को लेकर असंतोष और विरोध प्रकट करना था। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि आरक्षण में आर्थिक आधार पर कोई बदलाव स्वीकार नहीं किया जाएगा और SC/ST को विभाजित करने की कोशिशों का विरोध किया। बुधवार को जब देश भर में भारत बंद का आह्वान था, उन्नाव में इसका प्रभाव दिखाई दिया। बसपा प्रत्याशी अशोक पांडे और भीम आर्मी के प्रदेश सचिव आकिब अली अंसारी अपने कार्यकर्ता के साथ डीएम (जिलाधिकारी) कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उनके हाथ में तख्तियां और बैनर थे जिन पर ‘SC/ST को बांटना बंद करो’ जैसे संदेश लिखे गए थे। उन्होंने यह आरोप लगाया कि सरकार SC/ST वर्ग के आरक्षण को आर्थिक आधार पर संशोधित करने की कोशिश कर रही है, जो उनके सामाजिक और आर्थिक अधिकारों का उल्लंघन है। कार्यकर्ताओं ने पहले सिटी मजिस्ट्रेट राजीव राज को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से रखा। ज्ञापन में कहा गया कि SC/ST वर्ग के आरक्षण को आर्थिक आधार पर बदलने की कोशिशें संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि ऐसा करने से इस वर्ग के लोगों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में बड़ा अड़चन उत्पन्न होगी। सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपने के बाद कार्यकर्ता डीएम कार्यालय की ओर बढ़े और वहाँ भी एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में उन्होंने राज्यपाल को संबोधित करते हुए कहा कि SC/ST वर्ग के अधिकारों की रक्षा की जाए और उन्हें आर्थिक आधार पर आरक्षण के संशोधन का विरोध किया जाए। उनका कहना था कि ये वर्ग पहले से ही कई सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं और ऐसे में आरक्षण में बदलाव से उनकी स्थिति और भी दयनीय हो सकती है। आंदोलन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, और पुलिस बल ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरती। हालाँकि, पूरे दिन के आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों के बावजूद, इलाके में किसी भी बड़े उपद्रव की सूचना नहीं मिली यह आंदोलन और ज्ञापन भेजना दर्शाता है कि SC/ST समुदाय की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता की आवश्यकता है। कार्यकर्ताओं ने अपने समर्थन को मजबूत करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार की समझौता नहीं करेंगे।
