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पुराने लखनऊ में जाम के झाम से पब्लिक का निकलना दूभर 

 

 

संवाददाता लखनऊ।

ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ

राजधानी लखनऊ में नए अधिकारी पद पर आसीन होते ही सर्वप्रथम आदेश यही देते रहे कि सबसे पहले अतिक्रमण पर लगाम कसेंगे और हर चौराहे पर चेकिंग अभियान चलाकर जनता को जाम से मुक्ति दिलाएंगे। कुछ दिनों ताबड़तोड़ एक्शन के बाद फिर उसी तरह शहर में वाहन इधर उधर खड़े मिल जाते हैं।जिसको लेकर कोई मजबूत तरीका नही निकाला जा सका।

हर सड़क पर जाम लगाते दिख जायेंगे दो और चार पहिया वाहन।

आपको बताते चले कि जिस जिस जगह जाम के झाम में कुछ सड़के भरी रहती है उनमें अमीनाबाद,नाका,ठाकुरगंज,कैसरबाग,चौक,नक्खास,मोलवीगंज,लाटूश रोड पर सड़क के दोनों ओर बेतरतीब तरीके से वाहनों की कतार लगी दिखेगी जिस पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता या यूं कहें कि पुलिस चौराहों पर जाम छुड़ाए या पूरे रास्ते इधर उधर भागती फिरे उसमे पुलिस कितनी भी मेहनत क्यों ना कर ले जाम तो सड़क के किनारे से शुरू होता है जो हर चौराहों पर इकठ्ठा हो जाता है। सड़क के दोनों तरफ खड़े वाहनों का चालान यदि पब्लिक के हाथ में जिम्मेदारी दे दी जाए तो उससे होगा यह कि फोटो खिंचेगी तो जैसे ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान सीधे वाहन मालिक को सचेत करता है और जुर्माना भरने को बाध्य करता है ठीक यही प्रोसेस पब्लिक द्वारा किए चालान के द्वारा भी होना चाहिए।यदि सरकार चाहे तो चालान करने पर जनता को कुछ कमीशन मिले तो कोई एक गाड़ी सड़क पर नजर नहीं आयेगी और सरकारी स्टैंड पर आमदनी भी राजस्व को बढायेगा

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