9 राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023
मिशन 2024 के पहले 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव सेमी फाइनल की तर्ज़ पर पार्टियों को अपने संगठन शासन और जनसंपर्क को मज़बूत करना समय की मांग – एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध लोकतंत्र सारी दुनिया के लिए एक रोल मॉडल है, जिससे प्रेरित होकर अनेकदेश इसका मार्गदर्शन प्रेरणा लेने की राह पर चल पड़े हैं। पिछले दिनों हमने मीडिया में देखे कि कैसे भारतीय चुनाव आयोग की कुछ वैश्विक मंचों पर प्रतिष्ठा बढ़ी है जो तारीफ़ के काबिल है। चूंकि अब वर्ष 2022 के अंतिम दौर पर 2 राज्यों और एमसीडी का चुनाव समाप्त होकर रिजल्ट आ गया है।याने गुजरात, हिमाचल में विधानसभा चुनाव पूरे हो चुके हैं। गुजरात में जहां उस पार्टी की फिर सत्ता में वापसी लौटी है, वहीं हिमाचल से सरकार की विदाई हो गई है। पहाड़ी राज्य में दूसरी सत्ता की कुर्सीसंभालेगी। इसी के साथ साल 2022 का चुनावी मौसम भी खत्म हो गया है। अब देश में अगले साल यानी 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जो उम्मीद है 2024 के आम लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल की तर्ज पर पार्टियों को देखने की जरूरत को रेखांकित किया जा रहा है। हालांकि आजकल राजनीतिक पार्टियां भी कारपोरेट फार्मूले का पालन कर रणनीतिक रोडमैप बनाकर अपने विज़न तय करती है और मिशन 2023 पर उनके द्वारा बनाए गए प्रकोष्ठ के द्वारा काम करना बहुत पहले ही शुरू कर दिया होगा। परंतु चूंकि अभी दो बड़े राज्यों के रिज़ल्ट 8 दिसंबर 2022 को संपन्न हो गए अब सभी पार्टियों का ध्यान अपने मिशन 2023 पर पूरी ताकत से लगेगा, जो सही भी है, क्योंकि किसी राज्य का चुनाव जीतना या सम्मानजनक स्थिति पाना कोई कुछ दिनों का काम नहीं है बल्कि अपने मिशन को जीतने पर कार्य करते हुए महीनों और सालों लग जाते हैं। इसलिए मीडिया में आई जानकारी के सहयोग से हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, 2023 में 9 राज्यों की बारी-शुरू कर दो तैयारी।
साथियों बात अगर हम आने वाले वर्ष 2023 में 9 राज्यों के चुनाव की करें तो मेघालय और नागालैंड का चुनाव फ़रवरी 2023 में होने की संभावना है। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है। इन राज्यों में पार्टियों की जीत हार से आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जनता के मूड का पता चलेगा। हालांकि विधानसभा चुनावों के नतीजों से लोकसभा चुनाव पर असर पड़े ये कोई जरुरी नहीं है। कर्नाटक में भी अगले साल यानी 2023 में चुनावी रण है। मौजूदा समय में यहां बीजेपी की सरकार है। बसवराज बोम्मई प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल मई 2023 में खत्म होने जा रहा है और उससे पहले चुनाव कराए जाने की संभावना है। छत्तीसगढ़ में भी अगले साल यानी 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। मौजूद वक्त में यहां अभी कांग्रेस की सरकार है। यहां भूपेश बघेल मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं. छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा का कार्यकाल नवंबर 2023 में खत्म हो रहा है. यहां नवंबर से पहले चुनाव होने की संभावना है। मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। मौजूद वक्त में यहां शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं। विधानसभा की यहां 230 सीटें हैं. अगले साल नवंबर 2023 में यहां विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है।यहां नवंबर से पहले चुनाव कराए जाने की संभावना है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई है। राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव साल 2023 में होने हैं। यहां फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं। राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल दिसंबर 2023 में खत्म होने जा रहा है। यानें दिसंबर 2023 से पहले यहां चुनाव कराए जा सकते। इन 9 राज्यों के चुनाव सभी पार्टियों के लिए अहम होंगे क्यों कि इन राज्यों में पार्टियों की जीत या हार से आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जनता के मूड का पता चलेगा। इन चुनावों से पार्टियों को राज्यों में अपनी मजबूती का पता चलेगा जिसके आधार पर पार्टियां लोकसभा के लिए रणनीति तैयार करेंगी।
साथियों मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ में दो पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। एमपी और कर्नटक में जहां बीजेपी की सरकार है वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में है। इन राज्यों में अभी से चुनावी सरगर्मी देखने को मिल रही है।
साथियों बातअगर हमराजनीतिक पार्टियों द्वारा समय के बदलते परिवेश में अब कारपोरेट फार्मूले अपनाकर रणनीतिक नीतियां रणनीतियां और फार्मूले बनाकर अपनाने के अनुमान की करें तो, सीखना और न सीखना कॉपोर्रेट जगत का नया मानदंड हो सकता है, लेकिन राजनीतिक पार्टियां अब इस कॉपोर्रेट फॉमूर्ले का पालन कर रही है ताकि राज्ययों में बदलाव की नई लहरें ला सकें और 2023 में विधानसभा चुनावों में जीतनें का मार्ग प्रशस्त कर सकें। हालांकि चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन सबने इसके लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।
साथियों हमने कुछ राज्यों को जमीनी स्तर पर अपने आधार को मजबूत करने के लिए अलग तरह से काम करते देखा है और इसलिए सब एक दूसरे के मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं और वक्त पड़ने पर वे भी उनका पालन करेंगे। उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार की योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए जमीनी स्तरपर अच्छा काम किया है। इसी तरह, कुछ ने अपनी बूथ समितियों को मजबूत करके अलग तरह से काम किया है।इसके अलावा, कुछ राज्यों ने डॉक्टरों, वकीलों आदि सहित विभिन्न प्रकोष्ठों को मजबूत करके नवाचार के साथ काम किया। हजारों की संख्या में पेशेवरों की अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है, जिन्होंने जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत किया है।
साथियों पिछले कुछ महीनों से, पार्टियां पहले से ही बने मॉडल पर काम कर रहे हैं, जो गुजरात में सफल साबित हुआ है। इस मॉडल के तहत, कार्यकर्ता एक मजबूत आधार बनाने के लिए एक विशेष ब्लॉक के प्रत्येक परिवार के साथ जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, यह मॉडल एक पार्टी के निर्माण खंड की तरह काम करता है। गुजरात में, अक्सर पार्टीयां कुछ मॉडल के सौजन्य से चुनाव जीतती रही है, जिसकी छाप अबभी दिखाई पड़ रही है। अक्सर हर पार्टी के वैकल्पिक रूप से चुनाव जीतने के दशकों पुराने मॉडल को अब समाप्त होते देखना चाहते हैं।
साथियों बात अगर हम कुछ रणनीतिक संगठनात्मक मजबूती और जनता के दिलों को भांपकर, उनके अनुसार काम किया जाए तो जनता जनार्दन उम्मीद से अधिक अपना अपार जनसमर्थन देकर उस पार्टी को खुशियों की सौगात देती है, तो किसी के भविष्य बनाने और आगे की राह आसान करने की सौगात देती है। जैसे गुजरात में बीजेपी लगातार सातवीं बार सरकार बनाकर एक और इतिहास रचने जा रही है। सूबे में बीजेपी अपने अबतक के तमाम रिकॉर्ड को तोड़ते हुए प्रबल बहुमत हासिल करने जा रही है। यहां दूसरी पार्टियों का अच्छा हाल नहीं हुआ है। जनता ने इस जीत का इतिहास रचने वाली पार्टी को ऐसी सौगात दी है कि पिछले रिकार्डो के रिकॉर्ड भी तोड़ दिए हैं और इतिहास का भी इतिहास बनाकर इस पार्टी को जीत का मुकुट पहना दिया है। इस पार्टी नें पहले 127 सीटों और दूसरी पार्टी का चुनाव में 149 सीटों का रिकॉर्ड अभी-अभी तोड़कर इस पार्टी को 156 सीटों नें रिकॉर्ड बनाकर ताज पहना है। पश्चिम बंगाल के लेफ्ट के शासन के 32 साल का रिकॉर्ड भी अब टूट जाएगा क्योंकि 27 वर्षों से यह पार्टी शासन चला रही है अब 32 साल में आ जाएगा। वही एक पार्टी को हारकर भी जीत मिली हुई महसूस होती है, क्योंकि उनकी पार्टी अब नेशनल पार्टी बन गई है पहले 1 फ़ीसदी से भी कम वोट प्रतिशत था। अब 12 फ़ीसदी से भी बढ़ गया है। सीटें ज़ीरो से 5 आ गई है और 35 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है, जिसमें उन्हें प्रोत्साहन मिला है और उनकी डेरिंग बढ़ गई है। ठीक उसी तरह, पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में जनता ने अपना रिवाज कायम रखा और सत्ता परिवर्तन को चुना। यहां कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत हासिल हुए है। हिमाचल की जीत कांग्रेस के लिए गुजरात की हार पर मरहम का काम करेगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 होंगे। 2023 में 9 राज्यों की बारी – शुरू कर दो तैयारी। मिशन 2024 के पहले 9 राज्यों के विधानसभा चुनावसेमीफाइनल की तर्ज पर पार्टियों को अपने संगठन शासन और जनसंपर्क को मज़बूत करना समय की मांग है।
*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*