रोहितसोनी उरई
दैनिक खबर दृष्टिकोण
जालौन:- आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के अवसर पर तहसील माधौगढ़ के तहसील सभागार में अभिलेखीय प्रदर्शनी का आयोजन जिलाधिकारी चांदनी सिंह एवं पुलिस अधीक्षक रवि कुमार द्वारा फीता काट कर किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ रानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया। जिलाधिकारी चांदनी सिंह ने बताया कि देश में हर वर्ष 18 जून को महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के गौरवशाली इतिहास में जब-जब वीरांगनाओं का जिक्र किया जाएगा, महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता और पराक्रम हमेशा लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे। अंग्रेजी हुकूमत के दांत खट्टे करने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की आज पुण्यतिथि है । 18 जून सन् 1858 को अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई थीं। हर साल 18 जून का दिन रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के रूप में उनके शौर्य की याद दिलाता है। रानी लक्ष्मीबाई ने उस दौर में अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए थे, जब युद्ध के लिए सिर्फ पुरुषों को योग्य माना जाता था। रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध कौशल के साथ उनका मातृत्व धर्म भी इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। पुलिस अधीक्षक रवि कुमार ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई देश की एक महान वीरांगना थी, हर नारी में उनके जैसा साहस होता है, देश में जब- जब आवश्यकता पड़ी है, नारियों ने अपना अदम्य साहस दिखाया है। देश में अनेकों ऐसे उदाहरण है जब नारियों ने अपने साहस से दुश्मनों के इरादों को पश्त किया है। आज मैं देश की महान नारीशक्ति को नमन करती हूँ। नारियों ने अपने दृढ़ विश्वास से हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनायी है, आज देश में ऐसा कोई पद नहीं जिन पर नारी शक्ति न पहुंची हो। महिलाएं आज बहुत सशक्त बन चुकी हैं। हमारे भारतवर्ष की भूमि पर अनेकों वीरांगनाओं ने जन्म लिया है, जिसमें से एक नाम रानी लक्ष्मीबाई का भी है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लिया। आज की महिलाओं को भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।