लखनऊ। संवाददाता रघुनाथ सिंह खबर दृष्टिकोण
70 फीस दी मरीजों के रेफर लेटर में स्पष्ट नहीं होता बीमारी और विभाग।
पीजीआई केजीएमयू लोहिया संस्थान समय बड़े चिकित्सा संस्थानों केशोद में हुआ खुलासा।
पीजीआई, केजीएमयू व लोहिया संस्थान में आने वाले 70 फिसदी मरीज गलत रेफर लेटर लेकर आते हैं। इन मरीजों के रेफर वाले पर्चे पर बीमारी और विभाग का नाम स्पस्ट नहीं लिखा होता है। जिसके चलते मरीजों के एक व दो दिन दूसरे विभागों की दौड़ भाग में निकल जाते हैं। डॉक्टर की स्क्रीनिंग और जांच के बाद बीमारी की पहचान होने पर सही विभाग में मरीज पहुंचता है। इसका खुलासा पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान की ओपीडी मरीजों के रेफर पर्चे के अध्ययन में हुआ है। यह जानकारी शनिवार को पीजीआई में एसोसिएशन आफ मेडिकल सोशल वर्क प्रोफेशनल के कॉन्फ्रेंस में संस्थान के ओपीडी प्रभारी डॉ. आरपी सिंह ने साझा की।
उन्होंने कहा कि मरीज को बड़े अस्पतालों में रेफर करते वक्त डॉक्टर बीमारी और विभाग का नाम सही लिखें। ताकि मरीज भटकने के बजाय पहले दिन मरीज सही विभाग में पहुंचे और इलाज मिल सके।
40 फीसदी मरीजों को आर्थिक जरूरत होती
कांफ्रेंस के आयोजक आरपी सिंह ने कहा कि अस्पताल आने वाले 40 फीसदी से अधिक मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। इन्हें आयुष्मान , आसाध्य रोग, काम धेनु से मदद मुहैया कराई जाती है। संस्थान दो से तीन फीसदी मरीजों को ही मदद कर पा रहा है। इस काम में मेडिकल सोशल ऑफिसर की भूमिका अहम होती है।
मरीज के लिए नया वातावरण होता है
मेडिकल सोशल वेलफेयर ऑफीसर रमेश कुमार ने कहा कि 60 फीसदी मरीज के लिए अस्पताल का वातावरण नया होता है। ऐसे में मेडिकल सोशल वेलफेयर ऑफिसर( एमएसओ) की भूमिका बढ़ जाती है। वह मरीज को सही जानकारी दें। मरीज की स्क्रीनिंग अच्छे से करें। ताकि मरीज को भटकना न पड़े। कांफ्रेंस में सैफई स्थिति चिकित्सा संस्थान के निदेशक डॉ. पीके सिंह, संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमन, सीएमएस डॉ. गौरव अग्रवाल और . राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति बलराज चौहान ने चिकित्सा संस्थानों में एमएसडब्लू की भूमिका के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर एमएसओ राघवेंद्र सिंह, दीपक सिंह, दिव्या सिंह, मदांसा द्विवेदी, अवनीश त्रिपाठी स्वच्छता अधिकारी ओमप्रकाश आदि मौजूद रहे।