लखनऊ, मानव रक्त की तस्करी व मिलावट कर उसे अलग अलग अस्पतालों व ब्लड बैंक में सप्लाई करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने राजफाश किया है। एसटीएफ ने यूपी यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंसेज सैफई में सहायक प्रोफेसर डा. अभय प्रताप सिंह और उसके साथी अभिषेक पाठक को गिरफ्तार किया है। दोनों के पास से 100 यूनिट रक्त बरामद किया गया है। दोनों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अन्य प्रांतों से अवैध ढंग से दान किए गए खून की तस्करी करते थे। इसके बाद लखनऊ तथा आसपास के जिलों के अस्पताल व ब्लड बैंक काे सप्लाई कर देते थे।एसटीएफ ने 26 अक्टूबर 2018 को अवैध तरीके से मानक रक्त निकालकर उसमें मिलावट के बाद दोगुना कर बेचने वाले गिरोह को पकड़ा था। तब पांच आरोपित गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे। एसटीएफ को सूचना मिली थी कि लखनऊ में मानक रक्त तस्करी का गिरोह सक्रिय है। इसके बाद टीम गठित कर लखनऊ आगरा टोल प्लाजा के पास मुखबिर की सूचना पर एक कार काे रोका गया। कार में डा. अभय सिंह सवार था। कार की तलाशी में गत्ते में रखे खून के पैकेट बरामद किए गए। पूछताछ में आरोपित ने बताया कि वर्ष 2000 में उसने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया था। वर्ष 2007 में पीजीआइ लखनऊ से एमडी ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की पढ़ाई की। इसके बाद वर्ष 2010 में ओपी चौधरी ब्लड बैंक में एमओआइसी के पद पर नियुक्त हुआ। वर्ष 2014 में उसने चरक हास्पिटल और वर्ष 2015 में नैती हास्पिटल मथुरा में सलाहकार के पद पर काम किया है। आरोपित ने मैनपुरी और जगदीशपुर में भी सलाहकार के लिए आवेदन किया था। एसटीएफ का कहना है कि आरोपित की ओर से दी गई जानकारी का सत्यापन कराया जा रहा है।डा. अभय ने एसटीएफ को बताया कि वह राजस्थान, हरियाणा, पंजाब व अन्य प्रांतों से डोनेट किए गए खून को तस्करी कर लखनऊ लाता है। आरोपित की कार से 45 यूनिट ब्लड बरामद किए गए। पूछताछ में आरोपित ने कहा कि वह वैध तरीके से मानव रक्त लेकर आता है। हालांकि मांगने पर वह कोई दस्तावेज नहीं दिखा सका। यही नहीं, एसटीएफ से आरोपित ने कुछ समय देने पर सभी दस्तावेज दिखाने की बात कही। इसपर पुलिस टीम उसके साथ अवध विहार योजना स्थित गंगोत्री अपार्टमेंट गई। आरोपित ने बताया कि वह बी-3 मकान नंबर 105 में रहता है, जो उसका निजी आवास है। डा. अभय ने एसटीएफ को कई तरह के दस्तावेज दिखाए। हालांकि औषधि निरीक्षकों ने जब कागजों की छानबीन की तो वह फर्जी पाए गए। एसटीएफ ने आरोपित के घर की तलाशी ली तो पीछे के कमरे में अभिषेक पाठक नाम का युवक मिला और फ्रिज में रखे 55 यूनिट ब्लड भी बरामद हुए।आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि वे जाली कागजों के जरिए अवध हास्पिटल, वर्मा हास्पिटल काकारी, काकोरी हास्पिटल, निदान ब्लड बैंक, सुषमा हास्पिटल तथा बंथरा और मोहनलालगंज के अस्पतालों में खून की सप्लाई करते थे। आरोपित हरियाणा के कमल सत्तू, दाता राम, लितुदा, केडी कमाल व डा. अजहर राव तथा दिल्ली के नीलेश सिंह से थोक में खून प्राप्त करते थे। लखनऊ में आरोपितों ने एजेंट बना रखे हैं, जिनमें बृजेश निगम, सौरभ वर्मा, दीपू चौधरी, जावेद खान व धीरज खून की सप्लाई का काम करते हैं।एसटीएफ का दावा है कि आरोपित अलग अलग राज्यों से 1200 रुपये में प्रति यूनिट खून खरीदकर यूपी में चार से छह हजार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बेच देते थे। खून की अधिक मांग होने पर आरोपित एक यूनिट ब्लड में स्लाइन वाटर मिलाकर उसे दो यूनिट बनाकर बेच देते थे। आरोपित तस्करी कर लाए गए खून को वैध बताने के लिए फर्जी रक्तदान शिविर की फोटोग्राफी कराते थे। आरोपितों के खिलाफ सुशांत गोल्फ सिटी थाने में एफआइआर दर्ज की गई है।