खबर दृष्टिकोण: अनुराग मिश्रा
गोला गोकर्णनाथ खीरी। दक्षिणी खीरी वन प्रभाग के महेशपुर वन रेंज क्षेत्र के कई गांवों में अजान, इमलिया, घरथनिया, मूड़ा जवाहर, और मूड़ा अस्सी में इन दिनों भय और असुरक्षा का माहौल है। बाघिन के लगातार हो रहे हमलों ने न केवल किसानों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है, बल्कि ग्रामीणों में सरकार और वन विभाग के प्रति गहरी नाराजगी भी उत्पन्न कर दी है।
इन हमलों के चलते ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें वन्य जीवों के आतंक से तुरंत निजात दिलाई जाए। इस समस्या को लेकर गोला विधायक अमन गिरी का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ पहुंचा। प्रतिनिधि मंडल में ग्राम प्रधान विपिन यादव, साधन सहकारी समिति अध्यक्ष पंकज वर्मा, जीवन लाल वर्मा, वीरेंद्र वर्मा और शिव गोपाल मिश्रा शामिल थे।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया: केवल आश्वासन या ठोस कार्रवाई?
प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वन विभाग की सुस्ती के कारण स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव वन को तत्काल फोन कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने दो दिन के भीतर बाघ को पकड़ने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
स्थानीय चिंता: ग्रामीणों की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा?
ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ बाघिन की बात नहीं है, बल्कि पूरे वन्यजीव प्रबंधन तंत्र पर सवाल उठते हैं। “हर साल यही होता है, जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए, तब तक विभाग सुस्त पड़ा रहता है,” एक ग्रामीण ने कहा।
निष्कर्ष:
अब देखने वाली बात यह है कि क्या सरकार का यह आश्वासन ज़मीनी स्तर पर प्रभावी कदमों में बदलेगा या फिर यह भी केवल राजनीतिक खानापूरी तक ही सीमित रह जाएगा। जब तक बाघ को पकड़ा नहीं जाता और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, तब तक यह मामला केवल “वादा” ही बना रहेगा समाधान नहीं।
