खबर दृष्टिकोण, जिला संवाददाता अतुल कुमार श्रीवास्तव
बाराबंकी। सूबे की योगी सरकार जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण का अभियान चला रही है, देश के प्रधानमंत्री एक वृक्ष मां के नाम का संदेश दे रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर वन माफियाओं के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के कुछ भ्रष्टाचारी कर्मियों की मिलीभगत के कारण ये माफिया बेखौफ होकर पर्यावरण और वन संपत्ति स्वच्छ वातावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
बीते रविवार को जनपद बाराबंकी के बंकी वन क्षेत्र के छेदा नगर गांव में भूमाफियाओं ने वन माफियाओं संग दिन-दहाड़े दो हरे-भरे आम के पेड़ों को निस्त-नाबूत कर दिया। हौसले की दाद देनी पड़ेगी इन दबंगों की कि इन्होंने न केवल पेड़ काटे, बल्कि उन्हें पूरी तरह से जड़ से उखाड़ कर मिटा दिया गया, ताकि किसी को इसकी भनक न लगे।
जबकि इस घटना की जानकारी पत्रकार अतुल श्रीवास्तव द्वारा बीट का प्रभार संभाल रहे वनकर्मी अनवर अली को दी गयी और मौका-ए-वारदात तक सारी चीजें दिखाने के बाद विभागीय जिम्मेदारी अनवर अली पर थी। रविवार 2:30 दिन में जब की गयी कार्यवाही की जानकारी अनवर अली से चाही गयी तो जुर्माना किया गया, जैसा रटा-रटाया जवाब मिला। इसके बाद खबर लिखने के लिए अनवर अली से लगाए गए जुर्माने की रसीद मांगी गई तो रविवार का बहाना बताकर बात को टाल गये। जिसके बावत सोमवार को पूरा दिन अनवर अली द्वारा टाल-मटोल किया गया। मंगलवार को दिन भर फोन न उठाने के बाद शाम को यह अनवर अली द्वार किसी की बिमारी का जिक्र करते हुए अगले दिन जुर्माने की रसीद देने की बात कही गयी। आज बुधवार को जब वनकर्मी अनवर अली से कार्यालय पहुंचकर सम्पर्क किया गया तो दोषियों को बचाने के लिए वन क्षेत्र पाल के सामने कहा गया कि मैं दोषियों को फांसी नहीं दे पाउंगा, जो करना है करिए। वन विभाग के इस भ्रष्टाचारी कर्मी के हौंसले इतने बुलंद हैं कि चार दिन का समय बीत जाने के बावजूद इसने उच्चाधिकारियों को सूचना देना तक मुनासिब नहीं समझा और तो और बीते चार दिनों से घटना की प्रत्यक्ष जानकारी देने वाले पत्रकार अतुल श्रीवास्तव को गुमराह करता रहा और जब मामला वन क्षेत्रपाल के सामने आया तो उल्टा पत्रकार को ही गलत साबित करने लगा। इस मामले में क्षेत्रीय वनपाल से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें इस कटाई की कोई जानकारी ही नहीं दी गई। यदि अवैध रूप से पेड़ काटे गए हैं, तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल उठता है कि जब वन विभाग के अधिकारीयों को खबर ही नहीं लगने दी जाएगी, भ्रष्टाचार को संरक्षित करने वाले कर्मचारी दोषियों के लिए ढाल बनकर तैनात रहेंगे, तो माफियाओं की गतिविधियों पर अंकुश कैसे लगेगा? और कैसे साकार होगा एक वृक्ष मां के नाम का उद्देश्य जो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने दिया है?