ख़बर दृष्टिकोण उन्नाव संवाददाता अजीत कुमार यादव
उन्नाव: शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 3 अक्टूबर से हो रहा है, जो 12 अक्टूबर तक चलेगा। देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण के अनुसार, नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। महा नवमी को नवरात्रि का हवन करते हैं और दशमी को पारण करके व्रत को पूरा करते हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन यानी अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना करते हैं और मां दुर्गा का आह्वान करते हैं, उसके बाद नवरात्रि की पूजा शुरू होती है।शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में हो रहा है।नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। कहते हैं मां अंबे के इस स्वरूप की उपासना करने से तमाम सुखों की प्राप्ति होती है। शैलपुत्री का अर्थ होता है पर्वती की बेटी। पौराणिक कथाओं अनुसार मां शैलपुत्री ने पर्वत राज हिमालय के घर में जन्म लिया था। मां दुर्गा के इस रूप को स्नेह का प्रतीक माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह में 6:15 बजे से 7:22 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक है।
कलश स्थापना सामग्री: मिट्टी का एक कलश, रक्षासूत्र, गंगाजल, सात प्रकार के अनाज, जौ, आम और अशोक की हरी पत्तियां, केले के पत्ते, जटावाला नारियल, सूखा नारियल, अक्षत्, धूप, दीप, कपूर, रुई की बाती, गाय का घी, रोली, चंदन, गाय का गोबर, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची, नैवेद्य, फल, गुड़हल के फूल, फूलों की माला, पंचमेवा, माचिस, मातरानी का ध्वज आदि.