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सीबीआई मुंबई का पुलिस अधिकारी बनकर प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़़ ठगी करने वाले गिरफ्तार 

 

एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़़ ठगी करने वाले गिरफ्तार 

साइबर अपराधियों के पास चार मोबाईल फोन व तीन सिम कार्ड हुए बरामद

प्रोफेसर को पांच दिनों तक शातिर साइबर अपराधियों ने किया डिजिटल अरेस्ट 

लखनऊ। राजधानी के एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके लगभग 2.81 करोड़़ रूपये की ठगी करने वाले गैंग के दो सदस्यों को जनपद लखनऊ से थाना साइबर क्राइम

 पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने में कमियाबी हासिल की है।

ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ

संवाददाता लखनऊ।

प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव लखनऊ क्राइम ब्रांच ने जानकारी देते हुए बताया एसपीजीआई लखनऊ की एसोसिएट प्रफेसर के मोबाइल पर किसी अज्ञात नम्बर से काल आया। जिस पर उनके द्वारा काल रिसीव करने पर कालर द्वारा स्वंय को सीबीआई मुम्बई का पुलिस अधिकारी बताकर कहा गया कि मनी लाड़िंग का केस हआ जिसमें आपके खाते का इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह बात करके उनको झांसे में लेते हुए बैंक व उनकी सारी डिटेल प्राप्त कर लिया गया।जिसके उपरान्त लगभग 05 दिन से अधिक समय तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया एवं उनके खाते से लगभग02 करोड़ से अधिक का पैसा विभिन्न खातो में ट्रान्सफर कर लिया गया । जब इनको इस बात का एहसास हुआ कि मेरेसाथ ठगी की घटना हो गयी है तब इनके द्वारा थाना साइबर क्राइम, लखनऊ जिसके उपरान्त लगभग पांच दिन से अधिक समय तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया एवं उनके खाते से लगभग दो करोड़ से अधिक का पैसा विभिन्न खातो में ट्रान्सफर कर लिया गया। जब इनको इस बात का एहसास हुआ कि मेरेसाथ ठगी की घटना हो गयी है तब पीड़ित ने साइबर क्राइम थाना में मुकदमा दर्ज कराया गया। मुकदमा दर्ज कर टीम गठित की गयी| प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव व उनकी टीम द्वारा उच्च अधिकारी के निर्देशनपर सूचना तंत्र सक्रीय कर तकनीकी संसाधनों का प्रयोग कर दो साइबर ठगों रोबिन कुमार पुत्र अनिल कुमार निवासी सलियर, थाना- तीतरों, जनपद सहारनपुर, उत्तर प्रदेश, नितिन गुर्जर पुत्र रामकेश निवासी मोहम्मद प्र भांडा, पोस्ट- चमरउवा, थाना नखास, जनपद संभल, उत्तर प्रदेश,को 24 सितम्बर को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया की साइबर अपराधियो द्वारा आपस में मिलकर ऐसे व्यक्ति को ढुंढते हैं जिनको पैसों व काम की जरूरत हो उन लोगोंको उत्तराखण्ड ले जाकर वहां पर फर्जी ऑफिस व कम्पनी खोलकर उसमें उनको काम देने के नाम पर उनके डाक्यूमेंटस लेते हैं और उन डाक्यमेंटस के आधार पर विभिन्न बैंको में फर्म के खाते खोलवाते हैं और टेलीग्राम के माध्यम से ठगी करने वाले कम्पनियों से जुडकर खातों का नेट बैंकिंग का यूजर आईडी पास वर्ड उनसे साझा करते हैं। और उनके द्वारा भेजे गये एक एपीके फाइल एक फर्जी डिवाइस में इंस्टाल कर खातें में रजिस्टर्ड मोबाईल नं० को उसी डिवाइस में लगादेते है जिससे नेट बैंकिंग लॉगिन और ऑनलाइन फण्ड ट्रांसफर की ओटीपी उनको स्वतः फारवर्ड होती रहती है। खातों में उगी के कुल रूपये आने के बाद , जब खाता फ्रीज हो जाता है तो उसमें से हम लोग अपना कमिशन 30 से 40 प्रतिशत यूएसडीटी के माध्यम से मंगवा लेते हैं। इस प्रकार हम लोगो को उन खातों से अच्छा कमिशन प्रॉफिट के रूप में मिलजाता है। जब काम हो जाता है तो हम लोग कम्पनी बंद होने की बात कहकर खाता धारकों को बहाना बनाकर वापसभेज देते है। गिरफ्तार आरोपियों के पास से विभिन्न बैकों के 10 अदद एटीएम,क्रेडिट कार्ड, 01 अदद चेकब्क, 03 चेक बक के पेज, 02 अदद पेनकार्ड, 02 अदद पीएनबी व एचडीएफसी बैंक लेटर बरामद हुए हैं।

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