एक हफ्ते पहले इंदिरा नगर थाने में लोहे की राॅड से किया था हमलावरों ने पत्रकार अरशद पर हमला
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और डीजीपी ने क्या यही आदेश किए हैं पत्रकारों की सुरक्षा के लिए
एक सप्ताह में दो पत्रकारों पर हमलावरों ने किए लोहे की राॅड से जानलेवा हमले
डीजीपी के आदेश पड़े फीके हमलावरों के हौसले बुलंद, पुलिस बनी मूकदर्शक
खबर दृष्टिकोण लखनऊ
आशीष कुमार सिंह विशेष संवाददाता
लखनऊ-। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पत्रकारिता करने वाले लोग होशियार हो जाएं क्योंकि डीजीपी साहब के आदेश सिर्फ पत्रकारों को लुभाने के लिए किए गये हैं। क्योंकी यहां पर किसी भी व्यक्ति की अगर आप पोल खोलेगें और खबर उसकी खबर प्रकाशित करेगें तो उसकी कीमत कहीं न कहीं अपने जान की बाजी लगाकर चुकानी होगी और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना रहेगा।
आपको बता दें अभी एक सप्ताह के अंदर दो पत्रकारों पर जानलेवा हमला हमलावरों ने किया है वह भी लोहे की राॅड से दोनों पत्रकारों के सिर पर हमला किया गया हैं। वहीं दूसरी तरफ पत्रकार आशीष सिंह को लाइफ केयर हास्पिटल की खबर प्रकाशित करना पड़ गया था महंगा सच्चाई की खबर प्रकाशित किया जिस पर थाना बीकेटी की पुलिस को लाइफ केयर हास्पिटल के मालिक डाक्टर विपिन के द्वारा रंगदारी मांगने की झूठा शिकायत प्रार्थना पत्र देकर बीकेटी पुलिस ने मुकदमा लिखकर जेल भेजने की धमकी दी जा रही थी। पत्रकार को मजबूरी में खबर प्रकाशित करना बंद करना पड़ा था क्योंकि इधर इंदिरा नगर थाने के पत्रकार अरशद के ऊपर हमलावरों ने लोहे की राॅड से सिर पर हमला कर दिया था जिसमें पत्रकार अरशद के सिर में गहरा घाव हो गया था। जिस घटना को देखकर और हमलावरों के ऊपर मात्र 151 का मुकदमा लिखकर एसीपी के यहां से छोड़ दिया गया था। पुलिस के इस रवैये से पता चला था की पुलिस पत्रकारों के खिलाफ मौके का इंतजार ढ़ूढ़ती रहती है। अभी इस घटना को समय मुस्किल के चार दिन भी नहीं बीते होगें आज फिर एक पत्रकार आशुतोश द्विवेदी पर लोहे की राॅड से सिर पर कई बार हमलावरों ने हमला कर दिया जिससे पत्रकार केजीएमयू में जिदंगी और मौत की जंग लड़ रहा है केजीएमयू के बाहर पत्रकार आशुतोष द्विवेदी के समर्थन में राजधानी लखनऊ के करीब 100 से अधिक लोग धरने पर बैठे हैं और जब तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हमलावरो को कड़ी से कड़ी सजा नहीं दिलाएंगे तब तक धरना जारी रहेगा।