खबर दृष्टिकोण
सुदीप मिश्रा
मिश्रित/ सीतापुर। महर्षि दधीचि की पौराणिक तपोभूमि के 84 कोसीय परिक्रमा परिक्षेत्र एक से एक आध्यात्मिक रहस्यों से भरा पड़ा है । ऐसा ही एक पौराणिक स्थान ब्लाक गोंदलामऊ इलाके के ग्राम बकछेरवा में आदि गंगा गोमती नदी के किनारे कैलाशनाथ महादेव मंदिर व कैलाश आश्रम स्थित है । यह आश्रम तमाम प्रकार के आध्यात्मिक गूढ़ रहस्य अपने आप में संजोए हुए है । इस आश्रम की छटा रमणीक और बहुत ही मनमोहक है । शिव महापुराण में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है । कि भगवान महादेव स्वयं यहां आए थे । और बाणासुर की राज्य रक्षा के लिए यहीं पर रुके थे । जब वह यहां से गए तो यह शिवलिंग स्वयं स्थापित हो गया था । कैलाश आश्रम के शिवलिंग का संबंध द्वापर युग से बताया जाता है । शिव महापुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है । कि बाणासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने के लिए कहा था । जिस पर उसने राज्य रक्षा के लिए अपने राज्य के सोनिकपुर स्थित किले में रहने की बात कही थी । परंतु भगवान शिव जी ने कहा हमें जहां अच्छा लगेगा हम वहीं रहकर तुम्हारे राज्य की रक्षा करेंगे । जिससे वह सोनिकपुर के पास स्थित आदि गंगा गोमती के दक्षिणी तट पर रहने लगे । जो वर्तमान में कैलाश आश्रम के नाम से जाना जाता है । द्वापर युग में इस आश्रम के विद्यालय में बाणासुर की पुत्री ऊषा विद्या ग्रहण करने आती थी । और भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को पाने के लिए इस मंदिर में नित्य पूजा भी करने आती थी । उसी समय बाणासुर ने निर्दोष लोगों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया । जिससे भगवान शिव जी यहां से चले गए । परंतु उनका शिवलिंग यहीं पर स्वयं स्थापित हो गया । इस मंदिर पर कोई तारीख न पड़ी होने के कारण इसके निर्माण का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है । बताया जाता है कि मुल्क की गुलामी के दौरान कैलाश नाथ महादेव मंदिर की आध्यात्मिक शक्तियों से प्रभावित होकर पाकिस्तान के रावलपिंडी निवासी संत स्वामी संपूर्णानंद ने 40 वर्षों तक यहां पर तपस्या की थी । उन्होंने ही इस मंदिर का जीर्णोद्घार कराया था । उसके बाद दूसरे एवं चौथे आचार्य के कार्यकाल में महामंडलेश्वर श्री स्वामी जनार्दन गिरी जी तथा आचार्य महामंडलेश्वर श्री स्वामी गोविंदानंद गिरी जी ने इस आश्रम का विस्तार किया था । उसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर विद्यानंद गिरी जी ने इस आश्रम में गौशाला , भक्त निवास , चैतन्य गिरी अस्पताल , छात्रावास , विष्णू धाम , चन्ना भोजनालय , भगवान हरि सत्संग भवन आदि निर्मित कराया था । यह कैलाश आश्रम सबसे पुराना वेदांत ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है । यहां शंकराचार्य की धार्मिक पीठ भी है । आश्रम में वेद तथा संन्यास से संबंधित शिक्षा दी जाती है । इस प्राचीन आश्रम में स्वामी शिवानंद , विवेकानंद , चिन्मयानंद आदि संत निवास कर चुके हैं । यह आश्रम आदि गंगा गोमती नदी के किनारे सुरम्य वातावरण में स्थित है । श्रावण माह में देश के कोने-कोने से शिव भक्तों का तांता लगा रहता हैं । वहीं आगंतुक यहां के मनोरम दृश्य को अपने कैमरे में कैद करना नहीं भूलते हैं ।
बाक्स -खबीस नाथ के स्थान पर बंदर पीते हैं शराब ।
प्राचीन कैलाश आश्रम में एक बाबा खबीस नाथ का सिद्ध मंदिर है । इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर शराब का प्रसाद चढ़ाने से भक्तों की हर प्रकार की मन्नत पूरी होती हैं । जिससे प्रति दिन हजारों की संख्या में यहां पर श्रद्धालु भक्त शराब का प्रसाद चढ़ाकर पूजन अर्चन करते हैं । इस मंदिर के आसपास भारी संख्या में बंदर हैं। जो प्रसाद में चढ़ाई जाने वाली शराब की एक भी बूंद भूमि पर नहीं गिरने देते हैं । प्रसाद के रूप में स्वयं पी जाते हैं ।