राष्ट्रीय कृषि एवं ग्राम विकास बैंक (नाबार्ड) उ0प्र0 क्षेत्रीय कार्यालय के 43वां स्थापना दिवस समारोह सम्पन
ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।
प्रदेश के सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जे0पी0एस0 राठौर ने उत्तर प्रदेश में कृषि और सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने मे नाबार्ड के योगदान की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नाबार्ड ने अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में सफलता प्राप्त की है और वर्तमान में यह भारत की ग्रामीण विकास यात्रा का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है। उन्होंने नाबार्ड की कार्य संस्कृति और उसके अधिकारियों की प्रशंसा की और सहकारी समितियों के सामने आने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को धैर्यपूर्वक सुनने और उनके समाधान प्रदान करने पर जोर दिया।
सहकारिता मंत्री श्री राठौर ने शुक्रवार को गोमती नगर, लखनऊ स्थित राष्ट्रीय कृषि एवं ग्राम विकास बैंक (नाबार्ड) उ0प्र0 क्षेत्रीय कार्यालय के 43वां स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे, जिसका विषय सहकारिता से सशक्तिकरण रहा। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभाए। उन्होंने प्रदेश की वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य में सहकारी समितियों और पैक्स को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया।
स्वागत भाषण देते हुए नाबार्ड उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक श्री एस. के. डोरा ने उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय सहकारिता मंत्री का स्वागत किया तथा इस अवसर पर उपस्थित होने के लिए उनका धन्यवाद किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे नाबार्ड ने लाखों ग्रामीणों के दिलों को हुआ है तथा कैसे वर्ष 1992-93 के दौरान गरीबों के लगभग 500 स्वयं सहायता समूहों को औपचारिक वित्तीय संस्थाओं से जोडने के लिए एसएचजी-बीएलपी के साथ इसके प्रारंभिक प्रयोग को नाबार्ड द्वारा दुनिया के सबसे बड़े माइक्रोफाइनैस कार्यक्रम में बदल दिया गया है। उत्तर प्रदेश में अपनी स्थापना के बाद से नाबार्ड ने ग्रामीण बुनियादी ढांचे के वितपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे बाढ़ सुरक्षा उपायो, ग्रामीण विद्यालयों तथा वाटरशेड विकास पहलों के अलावा 54.11 लाख हेक्टेयर की सिचाई क्षमता, 3.01 लाख मीटर ग्रामीण पुल तथा 46000 किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कें बनाने में मदद मिली है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि केसीसी नाबार्ड की प्रमुख वितीय इंजीनियरिंग पहलों में से एक है, जिसने उत्तर प्रदेश के लाखों किसानों को ऋण प्राप्त करने में आसानी प्रदान की है। पिछले 10 वर्षों में, नाबार्ड ने उत्तर प्रदेश में 62000 करोड़ रुपये से अधिक अल्पकालिक पुनर्वित, 22000 करोड़ रुपये दीर्घकालिक पुनर्वित और 18000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष पुनर्वित उपलब्ध कराया है। इन सभी उपलब्धियों को बताते हुए उन्होंने कमजोर सहकारी बैंकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला, जैसे उच्च एनपीए, उच्च असंतुलन, कम नेटवर्थ और कम लाभप्रदता तथा परिसंपतियों पर कम रिटर्न, जिसके लिए इन सहकारी बैंकों की वितीय स्थिति में सुधार के लिए केंद्रित कार्रवाई की आवश्यकता है।
इस अवसर पर नाबार्ड ने ग्रामीण विकास में विभिन्न हितधारकों के उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित किया। यूपीएससीबी और 10 डीसीसीबी तथा 03 पैक्स की व्यवसाय विस्तार, वित्तीय समावेशन और नई प्रौद्योगिकियों की अपनाने आदि में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। बाराबंकी जिले के मुबारकपुर और बरैया में और बहराइच जिले के कटरा बहादुरगंज में बहुउद्देशीय पैक्स को पैक्स कम्प्यूटरीकरण कार्य के तहत उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया, जिसने पैक्स के संचालन और व्यवसाय विविधीकरण में पारदर्शिता और बढ़ी हुई दक्षता का मार्ग प्रशस्त किया है जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
03 एफपीओ अर्थात् ओजोन एफपीसी लिमिटेड, सीतापुर, पूर्वांचल पोल्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, देवरिया और अल्फीजो सियाना मैंगो वैरायटी प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, बुलंदशहर को भी अपने परिचालन क्षेत्र में छोटे और सीमांत किसानों की उपज के सामूहिकीकरण और उन्हें टिकाऊ व्यापार के अवसर प्रदान करने में उनके प्रदर्शन के लिए इस कार्यक्रम में सराहना की गई।
समारोह में राज्य सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, राज्य भर के वरिष्ठ बैंकर्स और अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का समापन माननीय मंत्री द्वारा ’एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के उपलक्ष्य में एक पौधा रोपने के साथ सम्पन्न हुआ।