खबर दृष्टिकोण
महमूदाबाद/सीतापुर। घाघरा नदी के जलस्तर में पांचवें दिन 30 सेन्टीमीटर की कमी आई है ।शनिवार को नदी का जलस्तर 117 मीटर दर्ज किया गया। इससे तराई क्षेत्र के बाशिंदों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, पानी उतरने के बाद भी कटान जारी है। इससे लोगों की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। उधर, बैराजों से शनिवार को 1,94,906 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
घाघरा नदी का जलस्तर पिछले एक सप्ताह से लगातार बढ़ रहा था। संभावित बाढ़ को लेकर तराई क्षेत्र के ग्रामीण सहमे हुए थे। आखिरकार पांचवें दिन नदी के जलस्तर में 30 सेमी. की कमी आई। पानी घटकर 117 मीटर पर पहुंच गया। हालांकि, पानी अब भी खतरे के निशान से महज दो मीटर नीचे बह रहा है। बाढ़ का खतरा फिलहाल टल गया है। इससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है लेकिन उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं।
रामपुर मथुरा के अखरी गांव के पास शनिवार को पांचवें दिन भी कटान जारी रही। शनिवार को करीब चार से पांच मीटर जमीन कटकर घाघरा नदी में समा गई। अंगरौरा निवासी रामसागर, सुरेश, विक्रम, मुन्नू आदि ने बताया कि लगातार होने वाली कटान चिंता का विषय है। बाढ़ की स्थिति में उतना नुकसान नहीं होता जितना कटान करती है। अभी तो कटान धीमी गति से हो रही है, कब तेज हो जाए पता नहीं। उस दशा में खेत व घर घाघरा नदी में समाने की नौबत आ सकती है। ग्रामीणों ने कटान रोकने के उपाय किए जाने की मांग जिम्मेदारों से की है।
रेउसा इलाके में घाघरा व शारदा नदियों के पानी का बहाव लगातार निचले हिस्सों की तरफ तेज होता जा रहा है। अब तक नदी के आसपास दिखने वाले रेत के टीले अब पानी में डूब गए हैं। नाले भी लबालब हो गए हैं। इससे तराई क्षेत्र के ग्रामीणों में खलबली मची हुई है। लोगों का कहना है, कि अभी बाढ़ की स्थिति भले न आई हो, लेकिन मूसलाधार बारिश और बैराजों से छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी से हालात किसी भी समय बिगड़ सकते हैं।
किस बैराज से छोड़ा गया कितना पानी
घाघरा बैराज- 1,15,127 क्यूसेक
शारदा बैराज- 10,485 क्यूसेक
बनबसा बैराज- 69,294 क्यूसेक
रेनकट से सीतापुर-बहराइच हाईवे के अस्तित्व को खतरा
भारी बारिश से सीतापुर-बहराइच हाईवे के किनारे कई जगह रेनकट बन गए हैं। बिल्कुल पटरी बने गहरे-गहरे रेनकट हाईवे की जमीन खिसका सकते हैं। इसके अलावा बारिश से सड़क भी क्षतिग्रस्त हो गई है। सड़क में गड्ढे होने से हादसे का खतरा बना रहता है। पिछले दिनों गड्ढों में फंसकर कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में होने के बाद भी इस क्षतिग्रस्त हाईवे की मरम्मत को लेकर जिम्मेदार संजीदा नहीं हैं।
