*खबर दृष्टिकोण संवादाता /रफीक खान*
पसगवां खीरी।धौरहरा लोकसभा सीट बनने के बाद से अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को ही जीत नसीब हुई है, लेकिन इस बार धौरहरा लोकसभा सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फसती हुई नजर आ रही है। इंडिया गठबंधन की तरफ से जहां सपा के टिकट पर आनंद भदौरिया दावेदारी कर रहे है , तो वही भाजपा ने मौजूदा सांसद रेखा अरुण वर्मा पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। बसपा से टिकट पर श्याम किशोर अवस्थी चुनावी मैदान में है।
अभी तक जहां मुकाबला सपा बनाम भाजपा नजर आ रहा था, तो वही कमल छोड़ हाथी पर सवार हुए श्याम किशोर अवस्थी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
2008 में अस्तित्व में आई धौरहरा लोकसभा सीट पर 2009 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जितिन प्रसाद ने जीत का परचम लहराया, तो वही 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा की रेखा अरुण वर्मा ने जीत हासिल की। इन सभी चुनावो में एक बात समान रही। अभी तक हुए तीन लोकसभा चुनावों में बसपा निकटतम प्रतिद्वंद्वी रही। 2009 में राजेश वर्मा, 2014 में अरशद सिद्दीकी तो वही 2019 में दाऊद अहमद रनरअप रहे।
इस बार हो रहे चुनाव में बसपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार श्याम किशोर अवस्थी पर दांव लगाया है। ज्ञात हो कि धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में ब्राम्हण समाज के लोग भारी संख्या में निवास करते है।
भाजपा जहां अपने परंपरागत वोटो के सहारे जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में है तो वही सपा पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक के सहारे पहली बार धौरहरा लोकसभा में जीत का परचम लहराना चाहती है। बसपा ने पहली बार किसी ब्राम्हण उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। जिसकी सबसे बड़ी वजह श्याम किशोर अवस्थी का सामान्य वर्ग के साथ-साथ दलित व मुस्लिम समुदाय में अच्छी पकड़ होना है। लंबे समय तक भाजपा में रहे श्याम किशोर अवस्थी ने भाजपा नेतृत्व पर उपेक्षा का आरोप लगाया। जबकि अंदर खाने यह बात आम है कि स्थानीय सांसद रेखा अरुण वर्मा से ब्राम्हण समाज के लोग नाराज है, जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। श्याम किशोर अवस्थी के चुनावी मैदान में उतरने से जहां भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है , तो वही सपा के मुस्लिम वोटो में तगड़ी सेंधमारी हो सकती है।
