ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।
ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में आगंतुकों को बेहतर अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से यूपी पर्यटन विभाग ने विभिन्न ग्रामीण होमस्टे प्रदाताओं के साथ अनुबंध किया है। ये होमस्टे स्थानीय संस्कृति और स्थानीय लोककलाओं के साथ व्यंजनों से जुड़े अनूठे फार्म स्टे का अनुभव प्रदान करते हैं। अयोध्या से केवल 70 किलोमीटर दूर बस्ती में ‘माइ मॉम ग्रामीण होमस्टे’ और बांदा जिले के उदयपुरवा में ईको-विलेज परियोजना के तहत ‘गुलमोहर ग्रामीण होमस्टे’ ऐसा ही उदाहरण है। इन होम स्टे में 4-5 कमरे होते है, जिनमें सभी मूलभूत सुविधाएं होती है। पर्यटन विभाग ग्रामीण और प्रमुख गंतव्यों के निकट फार्म स्टे की स्थापना के लिए पर्यटन नीति 2022 अन्तर्गत सब्सिडी भी प्रदान कर रहा है।यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कतिपय चयनित गांवों को ग्रामीण पर्यटन केंद्रों में तब्दील किया जा रहा है, जो स्थानीय संस्कृति के साथ ग्रामीण पर्यटन का विशिष्ट अनुभव प्रदान करते हैं। इंटरनेट कनेक्टिविटी होने के साथ, ये हब आगंतुकों को एक्सपिरियन्स टूरिज़म का अनुभव प्रदान करते हैं। यहाँ पर्यटक ग्रामीण परिवेश के शुद्ध वातावरण में समय बिताने के साथ मौसमी फसलों और बाग-बगीचों से भी परिचित होंगे। उन्होंने बताया कि ग्रामीण जीवन की अपनी विशिष्ट संस्कृति होती है। इसके साथ आस्थाओं, मान्यताओं तथा विविध गतिविधियॉ ग्रामीण जीवन को अनूठा बनाती हैं। होम स्टे के माध्यम से आगन्तुकों को ग्रामीण अंचलों की विभिन्न गतिविधियों से परिचित होने का अवसर प्राप्त होता है।
जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश अपनी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक स्मारकों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और ग्रामीण पर्यटन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लोग शहरी प्रदूषण और भागमभाग जिंदगी की व्यवस्तताओं से छुटकारा पाकर शांति की तलाश में प्रकृति के बीच ग्रामीण परिवेश में समय बिताकर तरोताजा होने के उद्देश्य से ग्रामीण पर्यटन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज उ0प्र0 के गॉव तक बदलाव की लहर पहुंच चुकी है। गॉव अपनी प्राचीन विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए आधुनिकता की दौड़ में शामिल हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में ग्रामीण कृषि-पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। राज्य में देश के सबसे अधिक गाँव हैं, जिनमें से प्रत्येक गाँव ग्रामीण जीवन और कृषि पद्धतियों की एक अनूठी झलक पेश करता है। ग्रामीण पर्यटन और एग्रो टूरिज्म के बढ़ते चलन को देखते हुए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने ग्रामीण और कृषि-पर्यटन विकास के लिए 229 गांवों की पहचान की है। इन ग्रामों में ठहरने और अन्य मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए विभाग द्वारा कार्य कराया जा रहा है। जिसका उद्देश्य स्थानीय कला, शिल्प और रोजगार को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि उ0प्र0 प्राचीनता एवं आधुनिकता के संगम का अदभुत मॉडल है। जगह-जगह पर नयी बोली, भाषा, स्थानीय व्यंजन, परिधान तथा लोक कलायें बिखरी पड़ी हैं। ग्रामीण होम स्टे से आगन्तुकों को इनको करीब से जानने और समझने का अवसर प्राप्त होगा।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि देश में ग्रामीण और एग्रों टूरिज्म बहुत तेजी से बढ़ रहा है और उत्तर प्रदेश के पास सर्वाधिक ग्राम है जो विविध एग्रों क्लाइमेटिक जोंस में स्थित है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अध्यात्मिक एवं धार्मिक स्थलों की पृष्ठभूमि तथा अतीत की जानकारी देने के लिए गाइड की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। इससे पर्यटकों को प्रदेश की पुरातन संस्कृति एवं ऐतिहासिक कालखण्ड को जानने में मदद मिलेगी।