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राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर 2022 पर विशेष 

आओ हिंदी भाषा को व्यापक संचार का माध्यम बनाएं

 

हिंदी दिवस हमारी सांस्कृतिक धरोहर को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन

 

सरकार के स्तरपर हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने और कुछ मामलों में इसे अनिवार्य बनाने से हिंदी के विकास और प्रसार की संभावना बढ़ेगी – एडवोकेट किशन भावनानी

 

गोंदिया – भारत एक बहुभाषी देश है, जहां संविधान के अनुच्छेद के अनुसार बावीस अधिकृत भाषाएं हैं, इसके अलावा हजारों भाषाएं उपभाषा हैं और बोलचाल की अलग अपनी-अपनी बोलियां हैं।हालांकि इनमें भी भाषा का महत्व हिंदी से कम नहीं है परंतु राष्ट्रीय स्तरपर हिंदी के अलावा ऐसी कोई भाषा नहीं है जिसे सभी राज्यों में इलाकों को जोड़ने वाली भाषा का दर्जा प्राप्त हो। हालांकि अतीत में भाषा को लेकर जिस तरह के विवाद हो चुके हैं उसको रेखांकित करते हुए हिंदी को बढ़ावा देते समय यह भी ध्यान रखना आवश्यक होगा कि दूसरी भाषाओं पर नकारात्मक प्रभाव ना पड़े। हमने पिछले वर्ष माननीय पूर्व राष्ट्रपति के अनेकों संबोधनों में सुनें किअपनी मातृभाषा को बढ़ाओ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी मातृ भाषाओं पर बल दिया गया है। विभिन्न क्षेत्रों राज्यों में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषाओं में दी जाती है इसलिए हिंदी का विकास और विस्तार करने के लिए सबका साथ सबका सहयोग जरूरी है इसके लिए कुछ हद तक इसकी संभावना तलाशी जानी चाहिए कि भारत की सभी भाषाओं को जोड़ने के लिए सरकारी स्तर पर हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने और कुछ मामलों में इसे अनिवार्य बनाने से हिंदी के विस्तार विकास और प्रसार की संभावनाएं बढ़ेगी ऐसा मेरा मानना है।

साथियों बात अगर हम हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने की करेंतो संविधान सभा ने लम्बी चर्चा के बाद 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा स्वीकारा गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा केसम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये 14 सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी भाषा में सभी भावों को भरने की अद्भुत क्षमता है, यही कारण है कि हिंदी को भारत की जननी भाषा कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में हिंदी को मातृ भाषा का दर्जा दिया गया है। यह महज भाषा नहीं बल्कि भारतीयों को एकता व अखंडता के सूत्र में पिरोती है। हिंदी को मन की भाषा कहा जाता है, जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, संसद से लेकर सड़कों तक और साहित्य से लेकर सिनेमा तक हर जगह संवाद का सबसे बड़ा पुल बनकर सामने आती है। हिंदी हमारे साहित्यकारों की संस्कृति थी। महात्मा गांधी ने भी एक बार कहा था कि, जिस प्रकार ब्रिटेन में अंग्रेजी बोली जाती है और सारे कामकाज अंग्रेजी में किए जाते हैं, ठीक उसी प्रकार हिंदी को हमारे देश में राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन आज भी हम हिंदी को राष्ट्भाषा का दर्जा नहीं दिलवा पाए।

साथियों भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, हिंदी एक राजभाषा है यानें राज्य के कामकाज में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा। भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला हुआ है। भारत में 22 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिला हुआ है, जिसमें अंग्रेजी और हिंदी भी शामिल है। हिंदी को राजभाषा बनाने के प्रश्न पर हिंदी और अहिंदी भाषी तो लगभग तमाम वाद-विवाद के बाद सहमत हो गए थे लेकिन विवाद के केंद्र में हिंदी और रोमन अंकों के उपयोग का मसला ही था। अंत में अंग्रेजी अंकों के उपयोग पर सभी की सहमति के साथ राजभाषा का यह मसला 12 सितंबर से शुरू होकर 14 सितंबर 1949 की शाम को समाप्त हुआ था।साथियों बात अगर हम हिंदी को बढ़ावा देने पर विवाद की करें तो, संविधान में भारत की केवल दो ऑफिशियल भाषाओं का जिक्र था। इसमें किसी राष्ट्रीय भाषा का जिक्र भी नहीं था, इनमें से ऑफिशियल भाषा के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग अगले पंद्रह सालों में कम करने का लक्ष्य था, ये पंद्रह साल संविधान लागू होने की तारीख (26 जनवरी, 1950) से अगले 15 साल यानें 26 जनवरी, 1965 को समाप्ति होने वाले थे। हिंदी समर्थक राजनेत नें अंग्रेजी को अपनाए जाने का विरोध किया था इस कदम को साम्राज्यवाद का अवशेष बताया था। हालांकि केवल हिंदी को भारत की राष्ट्रीय भाषा बनाए जाने के लिए विरोध प्रदर्शन किए. उन्होंने इसके लिए कई प्रस्ताव रखे लेकिन कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सका क्योंकि हिंदी अभी भी दक्षिण और पूर्वी भारत के राज्यों के लिए अनजान भाषा ही थी। 1965 में जब हिंदी को सभी जगहों पर आवश्यक बना दिया गया तो तमिलनाडु में हिंसक आंदोलन हुए।इसके बाद सरकार ने जो राजभाषा अधिनियम1963 लागू किया था इसे 1967 में संशोधित किया गया, जिसके जरिए भारत ने एक द्विभाषीय पद्धति को अपना लिया, ये दोनों भाषाएं पहले वाली ही थीं, अंग्रेजी और हिंदी।

साथियों बात अगर हम विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में अंतर की करें तो, विश्व हिंदीदिवस दुनिया भर में 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका मकसद वैश्विक स्तरपर हिंदी का प्रचार प्रसार करना है। वहीं 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था। हिंदी दिवस पर इससे जुड़े कईपुरस्कार भी दिए जाते हैं, जिसमें राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार शामिल हैं। राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार जहां लोगों को दिया जाता है, वहीं राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग या समिति को दिया जाता है।

साथियों बात अगर हम हिंदी दिवस के महत्व और उसको मनाने की करें तो, हिन्दी भाषा के उत्थान और भारत में राष्ट्रभाषा का सम्मान दिलाने के लिए ही हिन्दी दिवस मनाया जाता है। हिन्दी दिवस को पूरे एक हफ्ते तक सेलिब्रेट किया जाता है, जिसे हिन्दी पखवाड़ा कहते हैं। इस दौरान स्कूलों से लेकर ऑफिसों तक में इसे सेलिब्रेट किया जाता है। इसके तहत निबंध प्रतियोगिता भाषण, काव्य गोष्ठी, वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।हिंदी दिवस के दिन लोगों को हिंदी के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए कई तरहके समारोह और सेमिनारका आयोजन किया जाता है। स्कूलों में प्रतियोगी कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

साथियों बात अगर हम हिंदी दिवस के इतिहास की करें तो साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश के सामने एक राजभाषा के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल था, क्योंकि भारत में हजारों भाषाएं और सैकड़ो बोलियां बोली जाती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर 1949 को हिंदी और इंग्लिश को राजभाषा के रूप में चुना गया। हालांकि इसपर जमकर विरोध हुआ। वहीं राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया। इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हिंदी के महत्व व इतिहास के बारे में बताना है और अपनी मातृ भाषा के प्रति जागृत करना है। तथा हिंदी को ना केवल देश के हर क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रसारित करना है। भारत में हिंदी दिवस के लिए एक खास दिन तय है,भारत में 22 भाषाएं और उनकी 72507 लिपि हैं, एक ही देश में इतनी सारी भाषाओं और विविधताओं के बीच हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो हिंदुस्तान को जोड़ती है. देश के हर राज्य में बसे जनमानस को हिंदी के महत्व के बारे में समझाने और इसके प्रसार प्रचार के लिए भारत हिंदी दिवस मनाता है।इस दिन जो लोग हिंदी नहीं बोलते वह भी हिंदी को याद कर लेते हैं।

 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर 2022 पर विशेष है। आओ हिंदी भाषा को व्यापक संचार का माध्यम बनाएं। हिंदी दिवस हमारी सांस्कृतिक धरोहर को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन है।सरकार के स्तर पर हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने और कुछ मामलों में इसे अनिवार्य बनाने से हिंदी केविकास और प्रसार की संभावनाएं बढ़ेगी।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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