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राष्ट्रीय दादा दादी, नाना नानी (ग्रैंड पैरेंट्स) दिवस 11 सितंबर 2022 मनाया गया 

खुशियों की बारिश हुई

 

 

 

दादा-दादी बच्चों का पुस्तकालय हैं, उनके पास जो ज्ञान का पिटारा है वह दुनिया में कहीं नहीं, इनका स्थान ईश्वर अल्लाह से बढ़कर – एडवोकेट किशन भावनानी

 

गोंदिया – भारत आदि अनादि काल से बड़े बुजुर्गों माता पिता दादा-दादी नाना नानी वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करते आया है, जिनकी गाथाओं से भारत के साहित्य पुराण ग्रंथ राम लक्ष्मण रामायण गीता श्रावण भगत प्रल्हाद इत्यादि अनेकों महान योनियां भारत माता की गोद में अवतरित हुई है जो आज भी इस आस्था का बहुत सटीक प्रमाण है। चूंकि 11 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय ग्रैंड पेरेंट्स दिवस यानें दादा-दादी दिवस बच्चों संस्थाओं समाज में बहुत उत्साहित होकर मनाया गया इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से बच्चों के दादा-दादी की खुशियों के रूप में घर परिवार में खुशियों की बारिश हुई पर चर्चा करेंगे।साथियों बात अगर हम दादादादी नाना-नानी की हुजूरी की करें तो खुश किस्मत है वह बच्चे या बड़े मानवीय जीव जिनके पास दादा दादी नाना-नानी अभी हयात हैं। मेरा मानना है कि उनके पास यह अनमोल धरोहर है उनका सम्मान बहुत संजीदगी और शिद्दत के साथ करना चाहिए क्योंकि उनके ऊपर वर्तमान में जो धरोहर है उसकी वैल्यू उनसे पूछिए जिनके पास यह धरोहर नहीं है। दादा दादी बड़े बुजुर्ग हमारी छत्रछाया हैं, इनका स्थान महात्माओं ईश्वर अल्लाह से भी बढ़कर है, ऊंचा हैं, इनकी आशीर्वाद को कुदरत भी नकार नहीं सकती ऐसा मेरा मानना है।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय दादा-दादी दिवस मनाने की करें तो बच्चों के अपने दादा दादी नाना नानी से एक अलग लगाव होता है, क्योंकि दादा दादी नाना नानी रिश्तो के बगीचे में माली होते हैं जो हर दिन अपने परिवार को सहेजते रहते हैं। जब भी कहानियां या घरेलू नुस्खे सुनने का मन होता है दादा दादी नाना नानी की याद आ जाती है और बच्चे पप्पा मम्मी के गुस्से से बचने के लिए भी इनकी शरण में चले जाते हैं। सही अर्थों में बुजुर्ग घर की छत्रछाया और शान होते हैं उनके द्वारा सुनाई गई कहानियों के मूल्यों और सीख के रूप में मोती रूपी ज्ञान बच्चों को मिलता है, जो उनका व्यक्तित्व निर्माण में नींव का काम करता है और भविष्य की सफलता मील का पत्थर साबित होती है। साथियों बात अगर हम वर्तमान परिपेक्ष की करें तो प्रौद्योगिकी युग में मोबाइल कंप्यूटर किताबों से भरे बच्चों के स्कूल के बैग टेलीविजन पर कार्यक्रम की भरमार लगी पड़ी है परंतु फिर भी यह सब हमारे दादा दादी नाना नानी की कहानियों घरेलू नुस्खों की वाणी की अनमोल सीख से बहुत बड़ी मात्रा में कम है, क्योंकि इनकी वाणी के शब्द कानों से टकराते ही कल्पना की उड़ान भरते हैं। उदाहरण के लिए यदि कहानी शुरू होती है कि एक बरगद का पेड़ था, तो बच्चे के मन में पेड़ के आकार और उनके स्थान की कल्पना शुरू हो जाती है और उनकी सोच का दायरा विस्तार करता है और कहानी सुनने में सभी इंद्रियां सक्रिय हो जाती है।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय दादा दादी नाना नानी दिवस मनाने के उत्साह की करें तो, चूंकि 11 सितंबर को रविवार था इसलिए कई स्कूलों कालेजों संस्थाओं ने एक दिन पहले ही इसका सेलिब्रेशन किया। स्कूल में दादा दादी नाना नानी ने पहुंचकर बच्चों का साथ निभाया। बुजुर्गों का स्कूल में स्वागत किया गया। स्कूल में उनका बहुत सम्मान किया गया। दादा दादी भी बच्चों के साथ बच्चे बनकर स्कूल में बहुत मौज मस्ती किए और खेलने कूदने में बच्चों का साथ दिए मेरा मानना है कि जिन भी स्कूलों संस्थाओं समाजों में दादा दादी दिवस रविवार होने के कारण 11 सितंबर को नहीं मनाया गया है वह आगे के दिनों में कभी भी इसे मना कर दादा दादी नाना नानी बुजुर्गों के सम्मान में इस बात को जरूर रेखांकित करें ऐसा मेरा सुझाव है। यानें अपने आंगन में बच्चों की खुशियों की बारिश जरूर करें। मेरा सुझाव है कि केंद्र और राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुजुर्गों के सम्मान के लिए इसे मनाने हेतु नोटिफिकेशन जारी किया जाना चाहिए।

साथियों बात अगर हम बच्चों के जीवन में दादा दादी के विशेष भूमिका की करे तो, दादा-दादी ने बच्चों के जीवन में विशेष रूप से उनकी कम उम्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह फैक्ट से भी सिद्ध होता है कि जब दादा-दादी और नाती-पोते एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं तो यह दोनों को खुश रखने में मदद करता है। सेवानिवृत्ति की उम्र में दादा-दादी सभी कामों से मुक्त हो जाते हैं, लेकिन उनके बुढ़ापे के कारण जाहिर है कि वे अपने जीवन का आनंद नहीं ले सकते हैं जैसे वे छोटे में लेते थे, इसलिए अपने पोते-पोतियों के साथ खेलना और उन्हें निहारना सबसे अधिक पसंद करते हैं।

साथियों बात अगर हम बच्चों का दादा दादी से पारिवारिक इतिहास सीखने की करे तो, जब बच्चे अपने पारिवारिक इतिहास के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं, तो वे अपने दादा-दादी से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं और स्नेह, सम्मान और उनमें सेवा और अपनों के प्रति लगाव जैसे मानवीय गुणों का विकास करते हैं। नतीजतन, बच्चे लचीले होना सीखते हैं और वे दूसरों की तुलना में अधिक स्मार्ट और परिपक्व दिखाई देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब वे अपने परिवार के इतिहास और कठिनाई के बारे में जानते हैं, तो वे कठिनाइयों का सामना करना सीखते हैं।दादा दादी का प्यार अपने नाती पोतो को पालने के लिए पर्याप्त हैं। बच्चों को पालने के लिए उन्हें दाई की जरूरत नहीं है। क्योंकि दादा-दादी अपने पोते-पोतियों की अच्छी देखभाल कर सकते हैं। वे न केवल बच्चों की परवरिश में मदद करते हैं बल्कि आपके बच्चों की सुरक्षा भी करते हैं।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय दादा धारी दिवस पर एक बच्चे द्वारा 10 सितंबर को स्कूल में राष्ट्रीय दादा-दादी दिवस पर रखे गए विचारों की करें तो, हमारे दादा-दादी/नाना-नानी एक पुस्तकालय हैं, हमारे निजी गेम सेंटर हैं, सर्वश्रेष्ठ रसोइए हैं, सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने वाले व्यक्ति हैं, अच्छे शिक्षक हैं और प्यार से भरी दुनिया, जिसमें दो आत्माओं को एक साथ रखा गया है, वे हमेशा हमारे लिए मदद के लिए खड़े रहते हैं। माता-पिता के माता पिता यह शब्द हमारे दादा-दादी/नाना-नानी के लिए बहुत उपयुक्त है। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं। दादा-दादी/नाना-नानी वे हैं जिन्होंने हमारे माता-पिता को पाल-पोस कर बड़ा किया है जो हमारे जीवन में एक और अद्भुत सहायक है। उनके चेहरे पर आई झुर्रियां इस सबूत हैं कि वे हमारे घरों में सबसे अधिक अनुभवी लोग हैं। इसलिए हम बच्चों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उनके साथ जुड़े, सीखें, जो वे हमें सिखाते हैं, उनके अनुभव से सीखें और फिर हमारे जीवन का निर्माण करें। अगर हम ऐसा करते हैं तो अधिक मजबूत होंगे।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि खुशियों की बारिश हुई। राष्ट्रीय दादा दादी नाना नानी (ग्रैंड पेरेंट्स) दिवस 11 सितंबर 2022 को खुशियों से मनाया गया।दादा-दादी बच्चों का पुस्तकालय है उनके पास जो ज्ञान का पिटारा है वह दुनिया में कहीं नहीं। इनका स्थान ईश्वर अल्लाह से बढ़कर है।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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