लखनऊ, । उत्तर प्रदेश में चिकित्सकों और लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं के तबादले में हुई गड़बड़ियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों की दो टीमें बनाकर उन्हें इसकी जांच सौंपी है। मुख्यमंत्री ने चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट दो दिन में और लोक निर्माण विभाग की एक दिन में मांगी है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय भूसरेड्डी की कमेटी प्रांतीय चिकित्सा संवर्ग में तबादलों में हुई गड़बड़ियों की जांच करेगी तो कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह और अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों की जांच कर रिपोर्ट देंगे।प्रांतीय चिकित्सा संवर्ग (पीएमएस) में लगभग 2500 चिकित्सकों के तबादले हुए हैं। इनमें साढ़े चार सौ से अधिक के स्थानांतरण को लेकर शिकायतें हैं। जिन डाक्टरों के सेवानिवृत्त होने में दो साल से भी कम समय बचा है, उन्हें भी हटाकर दूसरी जगह भेज दिया गया। एक तो मृतक का भी तबादला कर दिया गया। स्थानांतरण नीति का खुलकर उल्लंघन किया गया।विभाग ने 30 जून को स्थानांतरण सूची जारी की थी। उसके बाद से ही डाक्टर लामबंद हो गए। चार जुलाई को पीएमएस संघ की शिकायत पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद को चिट्ठी लिखकर इस मामले में चार बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गलती मानने को तैयार नहीं हुए।डाक्टरों ने लगातार विरोध जारी रखा और आखिरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकरण में हस्तक्षेप करते हुए उच्च स्तरीय जांच कमेटी के गठन के निर्देश दे दिए हैं। पीएमएस संघ के अध्यक्ष डा. सचिन वैश्य ने सीएम का आभार जताया और कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग देने को तैयार हैं।इससे पहले मंगलवार सुबह उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से पीएमएस संघ के महामंत्री डा. अमित सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की और गलत ढंग से किए गए 250 डाक्टरों के स्थानांतरण के साक्ष्य सहित दस्तावेज सौंपे। 200 और डाक्टरों के शिकायती पत्रों से संबंधित दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं।
