मौसम बदल रहा है और सीजनल फ्लू भी आ चुका है। बदलते मौसम में अक्सर लोगों की तबियत खराब हो ही जाती है। आमतौर पर लोग इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेते, जबकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए। एम्स, नई दिल्ली में डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि सीजनल फ्लू बहुत खतरनाक तो नहीं होता, लेकिन कभी-कभी लापरवाही लोगों पर भारी पड़ जाती है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा संभल कर रहने की जरूरत है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम वयस्कों के मुकाबले कमजोर होता है।
सीजनल फ्लू में दिख सकते हैं कई डिजीज के लक्षण
सीजनल फ्लू को लेकर लोगों में अलग-अलग धारणाएं हैं। लोगों का मानना है सीजनल फ्लू डायरिया या निमोनिया में बदल सकता है। जबकि ऐसा नहीं है, सीजनल फ्लू में किसी भी डिजीज के सिम्प्टम्स दिख सकते हैं। यह कभी-कभी लंग पर भी असर कर सकता है और लंग्स इंफेक्शन के तौर पर दिखने लगता है। इसके चलते सीजनल फ्लू के बेसिक सिम्प्टम्स तो लोगों में रहते ही है, साथ ही दूसरी समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। इससे पहले कि यह किसी परमानेंट समस्या के तौर पर उभरे डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।
सीजनल फ्लू में हाई रिस्क ग्रुप
सीजनल फ्लू सबसे ज्यादा उन पर असर करता है, जिनका इम्यून सिस्टम वीक होता है। अगर कोई व्यक्ति पहले से ही किसी समस्या से पीड़ित है तो, उसको फ्लू जल्दी हो सकता है, साथ ही फ्लू का असर भी उस पर गंभीर हो सकता है।
जानिए, डॉ. उमा से कि सीजनल फ्लू से किस तरह के खतरे बढ़ जाते हैं
हार्ट अटैक: हार्ट प्रॉब्लम से पीड़ित लोगों में सीजनल फ्लू के दौरान हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा वायरल मायोकार्डिया के चलते होता है। इसमें हार्ट रेट बढ़ जाती है और सांस फूलती है।
लंग डैमेज: सीजनल फ्लू ज्यादा बढ़ जाने से ये लंग को डैमेज कर सकता है। कभी-कभी हमें फ्लू के दौरान निमोनिया जैसे लक्षण दिखते हैं। जब फ्लू में ऐसे लक्षण दिखने लग जाएं तो समझ लेना चाहिए कि अब फ्लू लंग को डैमेज कर रहा है। यह ज्यादातर बुजुर्गों में हो सकता है।
डेथ: सीजनल फ्लू के दौरान किसी गंभीर बीमारी जैसे- कैंसर से पीड़ित लोगों की डेथ की संभावना बढ़ जाती है। सीजनल फ्लू उनके कमजोर इम्यून सिस्टम के चलते ज्यादा असर करता है जिसके चलते उनकी तबियत और भी ज्यादा खराब हो जाती है।
ब्रेन पर असर: सीजनल फ्लू ऐसे लोगों के दिमाग पर भी असर कर सकता है, जिनमें यह बहुत ज्यादा बढ़ गया हो या जो पहले से ही किसी बीमारी जैसे ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर से पीड़ित हों। इस दौरान नर्वस सिस्टम का रिस्पॉन्स स्लो हो जाता है और पीड़ित भूलने और बेहोश होने लगता है।
सीजनल फ्लू से कैसे बचें?
फ्लू या किसी भी तरह के वायरल से बचने के वही तरीके हैं, जिन्हें अपना कर हम कोरोना से बचते आए हैं। अभी वैसे भी कोरोना खत्म नहीं हुआ है, इसलिए अभी तक उसके रोकथाम की गाइडलाइन को फॉलो किया जा रहा है। बस इसी को जारी रखना है।