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बिना एनओसी जनता ईंट उद्योग कार्यवाही के बाद भी उगल रहा धुंवा,तहसील में बैठे बड़े साहेब मौन!

आखिरकार पप्पू कौन है,जिसकी ऊंची पकड़ संचालित करा रही जनता ईंट उद्योग 

जनता ईंट उद्योग सहित अन्य चार ईंट भट्ठे भी बिना एनओसी को संचालित करने में निभा रहा पप्पू अहम भूमिका?

अजय सिंह

सीतापुर। ईंट भट्ठो पर सटीक कार्यवाही न होकर केवल खानापूर्ति हो रही है जिसके चलते प्रदेश सरकार द्वारा नियमों को धता बताकर शासनादेश महज कागजातों में ही सिमट कर रह गए हैं।इससे सरकार के प्रशासनिक अमले पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है,वहीं यह अधिकारी सरकार की आम जनमानस में किरकिरी करा रहे हैं।क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के सख्त दिशानिर्देश हैं की किसी गरीब की झोपड़ी न हटाई जाए न ही जो दैनिक काम करने वाला दुकानदार है उसकी दुकान को न हटाया जाए,न ही जप्त किया जाए साथ ही इस पर सख्त हिदायत हैं की सरकारी नियमों की जो रसूखदार हैं उनको बक्शा जाए,बताते चलें कार्यवाही अमल बेअसर दिख रहा है, शासन के नियमों का पालन कराने वाले दिखावे की कार्यवाही कर मामले से किनारा कर लेते हैं जो अब चर्चित हो रहा है।बताते हैं की लहरपुर में तहसील अंतर्गत चल रहे बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र के कई ईंट भट्ठो का संचालन बदस्तूर जारी है,इनमें जनता ईंट उद्योग भी है जिनके जनता ईंट उद्योग को मिलाकर पांच ईंट भट्ठे जो किसान बिक्र फील्ड रमुवापुर,चाँद बिक्र फील्ड चंद्रा मल्लापुर,जनता ईट उद्योग मल्लापुर,प्रसाद बिक्र फील्ड बहरवा,एस बी एफ बिक्र फील्ड बहरवा में संचालित बताए जा रहे हैं।गौर करने वाली बात यह है कि सभी बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र हैं,और एक नाम की चर्चा भी काफी हो रही है पप्पू नाम का एक व्यक्ति इन सभी ईंट भट्ठो का संचालन कर्ता है,आखिरकार कौन है यह पप्पू?कितनी ऊपर तक पहुंच है?तो आम जनमानस में यह बातें हो रही हैं इन पांचों ईंट भट्ठो का संचालन व कर्ता-धर्ता यह ही सक्श है,जिसका पप्पू नाम बताया जा रहा है,सारी सैटिंग इसी से होती है?कार्यवाही होती है तो चर्चित हो रहा है की मैनेज भी होता है,आखिर क्या मैनेज होता है।फिलहाल बिना एनओसी ईंट भट्ठो का संचालन हो रहा है यह शासन के नियम विपरीत है,पर अधिकारी इस पर बेहद सख्त हैं कार्यवाही कर ही डालते हैं,जैसे जनता ईंट उद्योग पर की और अन्य ईंट भट्ठो पर की पर अफशोस अब भी संचालन हो रहा है,तो क्या यही मैनेज होने की बातें हो रही हैं।अब कार्यवाही का यह रवैया है तो तहसील साहिबान को कैसे भूल सकते हैं,क्योंकि कार्यवाही के आर्डर के सूत्रधार यही हैं।यहीं पर कलम आखिरकार लिखने पर मजबूर हो जाती है,आखिरकार संवाददाता कलमकार है सच लिखना उसकी पहचान है आखिर कार इस तरह से कार्यवाही हो रही है तो इसका जिम्मेदार कौन है,तहसील के बड़े साहेब,छोटे साहेब अन्य तहसील के मातहत अधिकारी या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सूई वहीं पर रूक जाती है,इसपर शासन को अपने स्तर से ही क्या देखना होगा,अगर ऐसा हुआ तो जिम्मेदार अधिकारी बच नहीं पाएंगे,फिलहाल तो जल्द ही इसपर कार्यवाही हो ईंट भट्ठो पर ताला लगेगा और बड़ी कार्यवाही की उम्मीद की जा रही है।…आगे

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