अथर्व तिवारी ने लगाया नगर निगम के अधिकारी व आर आई पर कर निर्धारण घोटाले का आरोप
खबर दृष्टिकोण |
लखनऊ |नगर निगम लखनऊ जोन-8 में पुनः कर निर्धारण में की गयी अनियमितता संबंधी प्रकरण संज्ञान में आया जिसमें शिकायत कर्ता द्वारा सदस्य विधान सभा के माध्यम से प्रमुख सचिव नगर विकास से नगर निगम जोन-8 के भ्रष्ट जोनल अधिकारी एवं कर निरीक्षकों के विरूद्ध शिकायत की गयी। शिकायतकर्ता द्वारा जोन-8 अन्तर्गत आने वाले कई वार्डो के व्यवसायिक भवनों के बिल की रसीद एवं 500 से अधिक व्यवसायिक भवनों की एआरवी की सूची संलग्न अपने शिकायती पत्र के साथ संलग्न कर नगर निगम के बजाये किसी अन्य अधिकारी से प्रकरण की जाँच कराये जाने का अनुरोध किया गया । शिकायती पत्र में एलडीए कालोनी स्थित भवन संख्या- एमआईजी/256/जी व भवन संख्या ई/ 162. वार्ड राजा बिजली पासी प्रथम , एस-138. वार्ड राजा बिजली पासी प्रथम, भवन संख्या – एस/040 तथा विद्यावती प्रथम वार्ड के भवन संख्या -के/716/के साथ ही साथ कई अन्य भवनों का भी उल्लेख किया गया है जिसमें जोन-8 के अधिकारियों द्वारा प्रथमतः भवनों का बिल बढ़ा कर बनाया गया एवं कुछ समय उपरान्त भवन स्वामियों से पैसा लेकर पुराना बिल निरस्त कर नया बिस बना दिया गया इसमें कई भवन ऐसे भी है जो कि व्यवसायिक भवन है लेकिन इन्हें अभिलेखों में सामान्य भवन का दर्जा दिया गया है ताकि भवन कर कम जमा कराया जा सकें। कई ऐसे भवन है जिनकी एआरवी में बदलाव कर भवन स्वामी को फायदा एवं सरकार को चुना लगाने का कार्य किया गौए है| चूंकि वर्तमान अपर नगर आयुक्त , लखनऊ जो कि 20 से अधिक वर्षों से कार्यरत है तथा पशु चिकित्सा सेवा के अधिकारी है एवं जोन-8 के नोडल अधिकारी भी है और जोन-8 से संबंधित अधिकतर जाँच के प्रकरणों में इन्हें ही जाँच अधिकारी नामित किया जाता है न की नगर निगम में कार्यरत किसी अन्य पीसीएस सेवा के अधिकारी द्वारा नगर निगम के ऐसे सम्वेदनशील प्रकरणों में नगर आयुक्त द्वारा स्वयं अपने स्तर से जाँच न किया जाना और न ही किसी पीसीएस अधिकारी को जाँच अधिकारी नामित करना नगर निगम पर कई सवाल उठाता है| लिहाजा नगर निगम में व्याप्त कर घोटाले मामले में शिकायत पर जिलाधिकारी को जाँच का जिम्मा सौपा गया है |