प्रतिपदा को बोए गए जवारों के स्थानों पर पंचमी की पहली झांकी के श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, देवी गीतों और अचरियों से महिलाएं मैया को रिझाने के प्रयास करने में लगी हैं। माता सिंह वाहिनी और बड़ी माता मंदिरों में दर्शनार्थियों का तांता लगा है।
नगर व क्षेत्र के विभिन्न देवी मंदिरों में पंचमी को अलस्सुबह से ही जलाभिषेक के लिए महिलाओं की भारी भीड़ रही। उन्होंने जलाभिषेक के बाद विधि विधान से मैया की पूजा अर्चना की। सायं वेला में दर्शनार्थियों की भीड़ और भी ज्यादा बढ गई। गोधूलि वेला से प्रारंभ हुए दर्शनार्थी देर रात तक मंदिरों में मत्था टेकते देखे गए। मैया के साक्षात् स्वरूप जवारों की भी पंचमी को प्रथम झांकी खुली और श्रद्धालुओं ने उनके दर्शन किए। विद्वान ब्राह्मणों के अनुसार जवारे धन धान्य के प्रतीक हैं और उनका अंकुरण फसलों की पैदावार का संकेत देने वाला है। इन्हें आदिशक्ति का साक्षात् स्वरूप भी माना गया है और वैसी ही मान्यता यहां बुंदेलखंड इलाके में जवारों को प्रदान की जाती है। रात्रि में जवारों के स्थानों पर महिलाओं द्वारा मैया को प्रसन्न करने के लिये देवी भजन और बुंदेलखंड में प्रचलित अचरियां गाईं जा रहीं हैं।