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न्याय व्यवस्था में वादकारी का हित सर्वोच्च होता है: उच्चतम न्यायालय

 

 

 

रायबरेली – जनपद न्यायालय रायबरेली के सभागार में विधिक संगोष्ठी का आयोजन जनपद न्यायाधीश अब्दुल शाहिद की अध्यक्षता में किया गया। इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय रवीन्द्र विक्रम सिंह, पीठासीन अधिकारी मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण गुरप्रीत सिंह बावा थे। इस विधिक संगोष्ठी में जनपद न्यायालय के सभी न्यायिक अधिकारियों द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्णय हरीश उप्पल बनाम भारत संघ, मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के निर्णय इन री जिला अधिवक्ता संघ इलाहाबाद व मा0 बाम्बे उच्च न्यायालय के निर्णय सतारा जिला बार एसोसिएशन बनाम महाराष्ट्र राज्य के सम्बन्ध में विधिक चर्चा की गयी।विधिक संगोष्ठी में जनपद न्यायाधीश अब्दुल शाहिद द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय व मा0 उच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का संदर्भ देते हुए बताया गया कि न्याय व्यवस्था में वादकारी का हित ही सर्वोच्च है। देश की न्यायालयी व्यवस्था वादकारियों की सुविधा के लिए है। न्याय प्रणाली के सभी हितधारकों न्यायाधीश, अधिवक्ता व कर्मचारियों का एकमात्र उद्देश्य यह होना चाहिए कि न्यायालय में न्याय के लिए आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्र व सुगम न्याय प्राप्त हो। वादकारियों व आमजन के हितों के सामने न्यायपालिका के सभी हितधारको के हित गौढ़ है तथा वादकारियों का हित सर्वोपरि है। विधिक संगोष्ठी में सभी न्यायिक अधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के निर्णयों के प्रकाश में वादकारियों के हित की सर्वोच्चता की बात कही गयी। विधिक संगोष्ठी में अपर जनपद न्यायाधीश जैंगम उद्दीन, अरुण कुमार मल्ल, विनोद कुमार वर्णवाल, हीरालाल, विजय पाल, पंकज जायसवाल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शिल्पी रानी व समस्त न्यायिक अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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