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राजनीति का जहाज, आलोक कुमार ब्लाक संवादाता असोहा उन्नाव

वर्तमान परिदृश्य में राजनीति की डगर बड़ी रपटीली है इस रपटीली राह में किस पार्टी का या किस नेता का राजनीति का जहाज किस पानी में चलेगा यह पानी की गहराई और उस जहाज को चलाने वाले के ऊपर निर्भर करता है जिसमें हमारे उत्तर प्रदेश की राजनीति बड़ी ही दिलचस्प होती जा रही है क्योंकि हमारे प्रदेश में राजनीति का जहाज चलाने वाले बहुत हैं यहां पर राजनीतिक आरटीओ द्वारा बहुत से लोगों को राजनीतिक जहाज चलाने का राजनीतिक चालक अनुज्ञा पत्र जारी किया गया है और बड़े ही जोश के साथ राजनीतिक जहाज चलाने को बेताब हैं किसी का भी मिले कहीं का भी मिले उनको किसी राजनीतिक दल या विचारधारा से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है बस अपना राजनीतिक भविष्य ठीक हो जाए और अपनों का राजनीतिक भविष्य बन जाए यहां तक की जिन्हें अभी राजनीति का क ,ख , ग , भी नहीं पता है वह भी स्वयंभू राजनीतिक चालक अनुज्ञा पत्र लेकर मैदान में घूम रहे हैं ठीक है भारत देश में लोकतंत्र है किंतु अपने राजनीतिक कद के अनुसार बात करना ही उचित होता है लेकिन देखा क्या जा रहा है कि लोग अब विधायक सांसद मंत्री नहीं अपितु मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनने की चाह लिए अपने साथ कुछ नव सीखिए राजनेता लिए अपनी राजनीति को चमकाने में पूरा जोर लगाए हैं वह अपने क्षेत्र की कुछ विशेष व्यक्ति नेता राम जी कान्हा जी ब्राह्मण क्षत्रिय पिछड़े दलित एवं अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपने व अपनी पार्टी के प्रति रिझाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं जिसमें कोई भी दल या नेता किसी भी मामले में पीछे नहीं रहना चाहता सभी नेतागण किसी न किसी प्रकार अपने राजनीतिक जहाज को इस चुनाव रूपी महासागर से पार लगवाना चाहते हैं वह कभी राम जी से अपनी नैया पार लगाना चाहते हैं तो कभी कान्हा जी से कभी वह राजनीतिक जहाज का चालक ब्राह्मणों को बनाना चाहते हैं तो कभी वह अपने जहाज पर क्षत्रिय राजनीति का चालक बनाकर अपने राजनीतिक जहाज को पार लगाना चाहते हैं इन सभी मामलों में पिछड़ा एवं दलित कार्ड सबसे अहम माना जा रहा है क्योंकि इनकी आबादी किसी भी राजनीतिक जहाज को पार लगाने या डुबो देने में पूर्णतया सक्षम है इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने दल में उन क्षेत्रीय जातीय नेताओं को शामिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही पक्ष हो या विपक्ष सभी किसी न किसी प्रकार से अपना राजनीति का जहाज चलाना चाहते हैं ,, भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा प्रदेश यानी हमारे उत्तर प्रदेश जिस पर सभी क्षेत्रीय हो या राष्ट्रीय अभी-अभी अस्तित्व में आई कोई भी पार्टी हो वह चाहती है और अपना एक लक्ष्य बनाए हैं कि किसी जोड़ गठजोड़ से हमारी उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक पद पर हमारी पार्टी हमारे सहयोगियों का ज्यादा से ज्यादा कब्जा हो इसके लिए वह सभी प्रकार के दांव-पेंच चल रहे हैं उनका पूरा जोर किसी न किसी प्रकार उत्तर प्रदेश की सत्ता है सत्ता के नजदीक पहुंचना ही उनका लक्ष्य है क्योंकि आज तक का भारतीय राजनीति का इतिहास रहा है कि भारत में दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर गुजरता है जिस भी व्यक्ति या दल ने उत्तर प्रदेश की जनता की कृपा दृष्टि पाई वह भारतीय राजनीति के शिखर पर पहुंचा है इसी लिए सभी कद्दावर नेता अपनी अपनी राजनीतिक जमीन उत्तर प्रदेश में मजबूत करना चाहते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि जब तक उत्तर प्रदेश को जीता नहीं जाएगा तब तक अपने राजनीतिक जहाज को आगे दिल्ली तक नहीं पहुंचाया जा सकता है,

राजनीतिक परिस्थितियों को भांपकर सभी दलों के नेता चाहे वह क्षेत्रीय दल हो या राष्ट्रीय दल हो सभी दल क्षेत्रीय स्थितियों को देखकर अपने-अपने दलों के प्रत्याशियों का चयन कर रही हैं अब वह जमाना नहीं रहा जब किसी दल का कोई स्थाई सदस्य/ प्रत्याशी रहता था वह अपने दल की नीतियों का प्रचार प्रसार करता था और उसी पर अपने लिए और अपने दल के लिए आदरणीय लोकतंत्र का भगवान यानी नेता और दलों का परम प्रिय मतदाता उसको अपनी अपनी ओर रुझान बनाने के लिए अपने मुद्दे व अपने दल के उद्देश्यों को जन जन तक पहुंचाता था उसकी जीवन की नीतियां रहती थी वह लगभग जीवन पर्यंत उन्हीं नीतियों व वसूलों पर अपनी राजनीति करता था लेकिन आज की राजनीति में शायद स्थाई पन ही विलुप्त होता जा रहा है कब कौन किस दल में है और वह कब तक उस दल में आस्थावान रहेगा यह कहना उतना ही कठिन है जितना कि किसी जल को स्थाई बनाए रखना कब 5 वर्ष वेतन, भत्ते, गाड़ी, बंगला, के सुख भोंगते भोंगते उसके ऊपर कितना अत्याचार हो गया वह स्वयं 5 वर्ष बाद समझ पाता है कि मेरे ऊपर या मेरी बिरादरी क्षेत्र और मेरे प्रिय पुत्र /पुत्रियों संबंधियों आदि के ऊपर अनगिनत अत्याचार हो गया लेकिन फिर भी मैं उन सभी राजनीतिज्ञों को कोटि-कोटि नमन करता हूं जैसे ही उन्हें अपने या अपने संबंधियों क्षेत्र जाति के ऊपर हुए अत्याचारों का पता चला वह तुरंत सभी मोह माया का त्याग कर उस दल के राजनीतिक जहाज से तुरंत कूदकर किसी दूसरे दल के राजनीतिक जहाज पर सवार हो जाते है नमन है ऐसे कर्म वीरों को, धर्म वीरों को ,,कर्तव्यनिष्ठा कर्मठता जुझारू पन को बारम्बार नमन करता हूं वैसे भी सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहा जाता और किसी भी राजनीतिक व्यक्ति का जो यह 5 वर्ष का कार्यकाल होता है वही तो सुबह से शाम होता है पच्चीस से तीस वर्षों तक लाभ के पद पर अधिकार के पद पर मंत्री के पद पर उप मुख्यमंत्री के पद पर यहां तक कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पद पर रहकर जब भी लोकतंत्र का पर्व या चुनाव आता है तो सभी फिर से कहने लगते हैं कि देश में पिछड़ों पर दलितों पर ब्राह्मणों पर क्षत्रियों पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है उनको उनकी संख्या के अनुरूप भागीदारी नहीं मिल रही है इस बार के चुनाव में मुझे जिताओ मैं यह सभी अत्याचारों से जुल्मों से आपको निजात दिला लूंगा आपकी आर्थिक मजबूती के लिए दिन को रात और रात को दिन बना दूंगा आपकी सिर्फ और सिर्फ मेरे राजनीतिक जहाज को पार लगाने में ही भलाई है आगे आपकी पांचों अंगुलिया घी में रहेंगी ,आपके मुंह में सिर्फ और सिर्फ घी शक्कर रहेगी बड़े-बड़े सपने आपके सच होंगे आप साइकिल से सीधा जहाजों में उड़ान भरेंगे आपके सारे दुख दर्द हमारे होंगे लेकिन मुझे यह समझ नहीं आता कि आपने अपने पिछले कार्यकालो में क्या किया ? जब अत्याचार हुआ तब आप कहां थे जब जनता सदी की महामारी से ग्रस्त थी तब आप कहां थे लेकिन जब जनता यह सवाल पूछती है उसके पहले ही वह इन सब सवालों के तोड़ निकाले रहते हैं और आपको एक नया मुद्दा दे देंगे आप उस में उलझ जाएंगे कोई ट्रिपल तलाक रुकवा कर मतदाता का मत प्राप्त करना चाहता है तो कोई ट्रिपल तलाक को जायज ठहरा कर, किसी को सी,ए,ए, पसंद है तो मत चाहिए तो किसी को सी,ए,ए, का विरोध कर मत प्राप्त करना है हिंदू के बीच हिंदू हितों की रक्षा का दम भरते हैं तो मुस्लिमों के बीच उनकी असुरक्षा बताकर उन्हें सुरक्षा देने का दम भरते हैं,क्या कहा जाए राजनीतिज्ञों को सिर्फ और सिर्फ अपना राजनीतिक जहाज चलाना है चाहे वह ब्राह्मण चलाएं राजपूत चलाएं यादव चलाएं लोधी चलाएं जाट चलाएं कुर्मी चलाएं मल्लाह चलाएं या चलाएं अल्पसंख्यक किसी न किसी प्रकार से उनका राजनीतिक जहाज चलना चाहिए वह किसी भी प्रकार से कोई भी कार्य करके सत्ता का लाभ लेना चाहते हैं सत्ता मिलनी चाहिए कर्म चाहे जो भी करना पड़े राजनीति की चमक इतनी चमकीली है कि खुली आंखों से कुछ भी दिखता नहीं कहीं जय श्री राम का नारा लगाकर सत्ता पर काबिज होना है तो कहीं जय श्री कृष्ण कह कर सत्ता हथियाना है कभी किसी के सपने में प्रभु श्री राम जी आते हैं तो कभी किसी के सपने में श्री कृष्ण जी आते हैं कोई पिछड़ों का हिमायती है तो कोई आंकड़ों का हमदर्द है किसी को धारा 370 चाहिए तो किसी को मांबलिंचिंग का मुद्दा उठाकर समाज का ताना-बाना बिगाड़ कर अपनी राजनीतिक चाह को पूरा करना है तो किसी किस राजनीतिज्ञ का राजनीतिक जहाज जाने कब दलितों के पानी में ब्राह्मण चलाएं या यादवों का जहाज अल्पसंख्यक चलाने लगे कब मौर्यो का किस पार्टी से मोहभंग हो जाए और किसके जाट हमदर्द बन जाए कौन पिछड़ों का जहाज का मसीहा बन जाए कब कौन क्षत्रियों की शान बन जाए या राजनीतिक जहाज कब किस को अपनी सवारी करने का अवसर दे दे हां यह अवश्य है कि राजनीतिक जहाज चलाएंगे तो सभी दल दलों के नेता किंतु जिस दल का जहाज गहरे पानी में चलेगा उसके चलाने वाले दल यानी उसका चालक दल में चालक के साथ-साथ रिजर्व चालक होंगे और उन चालकों को अलग-अलग स्थिति-परिस्थिति, देश-काल ,भौगोलिक-सामाजिक ताना-बाना मालूम हो ऐसे कुशल राजनीतिज्ञ चालक जिसके पास होंगे राजनीतिक भविष्य उसका मजबूत होगा सभी वर्गों में पकड़ होगी राष्ट्रीय क्षेत्रीय जातीय भाषीय आज के मुद्दे कल के मुद्दे भविष्य के मुद्दे जो मतदाताओं के होंगे उनकी समझ उन्हें हल करने की क्षमता उन मुद्दों को और उलझा देने की क्षमता उनका लाभ उठाने की क्षमता जिन दलों या नेताओं में होगी वही सन 2022 के चुनावी समर के इस मतदाता रूपी समुद्र में अपनी राजनीतिक नीतियों का नेताओं का जातियों का जितना उपयोग कर पाएगा वह अपना राजनीतिक जहाज राजनीतिक समुद्र में कुशलता से चला पाएगा अन्यथा अपना राजनीतिक जहाज बीच भंवर में फंसा कर डुबो देगा,

बाजार गर्म है दिग्गज हावी हैं कौन कहां किस क्षेत्र में बाजी मारेगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा वर्तमान समय में सभी दलों के प्रत्याशियों द्वारा नामांकन करा कर अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को ध्रुवीकरण के खेल में लाकर उनको तुष्टीकरण की घुट्टी पिलाकर उनको यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि आप की अहमियत सिर्फ और सिर्फ मेरे दल या नेता में है सभी दलों द्वारा अपने रणनीतिक सलाहकारों से विचार-विमर्श करके एक प्रभावी लुभावनी राजनीति के वह सारे पैतरे आजमाये जा रहे हैं एक से एक मुद्दों को उछाल कर उनका तुष्टीकरण से ध्रुवीकरण में बदलने का भरसक प्रयास कर अपने अपने राजनीतिक जहाज में मतदाताओं को बैठाने का सूत्र फिट किया जा रहा है भारत के लोकतांत्रिक पर्व चुनाव की सभी सम्मानित मतदाताओं को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं आपके क्षेत्र में एक स्वच्छ छवि का राजनेता जिसका उद्देश्य समाज में कानून का राज कायम करना शिक्षा क्षेत्र का विकास करना स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास करना विकास जिसका मुख्य मुद्दा हो ऐसा प्रत्याशी मिले और हमारा सम्मानित मतदाता उसी के राजनीतिक जहाज में सफर करें धन्यवाद

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