वाराणसी, । रुपये कमाने का प्रलोभन देकर लोगों से निवेश कराकर उनकी रकम हड़पने के मामले में जेल में बंद नीलगिरी ग्रुप ऑफ कंपनीज के सीएमडी विकास सिंह,एमडी उसकी पत्नी रीतू सिंह व मैनेजर प्रदीप यादव को अदालत से राहत नहीं मिली। विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) की अदालत ने शुक्रवार को आठ और मामलों में इन आरोपितों की जमानत अर्जी को निरस्त कर दिया। इन आरोपितों की जमानत का विरोध एडीजीसी ज्योति शंकर उपाध्याय ने किया। दो दिन पहले ही विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) की अदालत ने चार मामलों में इन तीनों की जमानत अर्जी को निरस्त कर दी थी।अभियोजन पक्ष के अनुसार झारखंड के गिरिडीह जिले के पप्पू कुमार, बसंती देवी,दिलीप कुमार साहू,लालेश्वर साव,गिरधारी प्रसाद, दिलीप कुमार साव एवं भदोही जिले के रामवचन गुप्ता व अरविंद कुमार गुप्ता ने नीलगिरी ग्रुप ऑफ कंपनीज के सीएमडी चेतगंज थाना क्षेत्र के सरायगोवर्धन मोहल्ला निवासी विकास सिंह,कंपनी की एमडी उसकी पत्नी रीतू सिंह और लक्सा थाना क्षेत्र के मीरबाग निवासी मैनेजर प्रदीप यादव के खिलाफ चेतगंज थाना में मुकदमा दर्ज कराया था।जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष का आरोप था कि कंपनी के इन पदाधिकारियों ने कम समय में अधिक रकम देने का प्रलोभन देकर तमाम लोगों से रुपया जमा कराए। कुछ माह तक तो कंपनी द्वारा रकम तो दी गई लेकिन बाद में देना बंद कर दी गई। जब उनलोगों ने सीएमडी से मिलकर अपनी रकम की मांग की तो उन्हें रुपया देने से मना कर दिया। अभियोजन पक्ष ने आरोपितों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों का विवरण भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। वहीं बचाव पक्ष की दलील थी कि इन आरोपितों द्वारा पैसा न देने की बात कभी नहीं कहा गया और न ही पैसा हड़पने का अंदेशा ही था। रीतू सिंह 30 अगस्त से जिला जेल में निरुद्ध हैं। जेल में निरुद्ध रहने के दौरान ही 21 सितंबर 2021 को शिशु को जन्म दिया है। रीतू सिंह और उनका शिशु संक्रमण और बीमारियों से जूझ रहे हैं। रीतू सिंह को चार वर्ष की एक पुत्री भी है। माता-पिता के जेल में रहने के कारण बच्चों का पालन-पोषण नहीं हो पा रहा है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने इसे मानवता के खिलाफ बताते हुए रीतू सिंह की जमानत अर्जी मंजूर करने की अपील की।अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष की बहस सुनने और पत्रावलियों के अवलोकन के बाद अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इन आरोपितों के खिलाफ चेतगंज थाना में दर्ज कई मुकदमों में जमानत अर्जी निरस्त हो चुकी है। ऐसी दशा में संपूर्ण तथ्य, परिस्थितियों व अपराध की प्रकृति को दृष्टिगत रखते हुए जमानत देने का पर्याय आधार नहीं है। तीनों की जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया जाता है।
