गंदगी की अस्पताल परिसर में भरमार,कोविड प्रोटोकॉल की सख्ती का नहीं दिखा असर
अजय सिंह
सीतापुर। शासन और प्रशासन की लोक कल्याणकारी योजनाएं जहां आम जनमानस के लिए वरदान है तो वहीं अधिकारियों की नाफरमानी कहीं-कहीं पर जनता के कष्टों का सबब बन गई है बताते चलें ऐसा ही मामला देखने को मिल रहा है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसमंडा में जहां तक सीएससी के डॉक्टर सिर्फ नौकरी बजाने ही शायद आते हैं बाकी का समय मरीजों के लिए उनके पास शायद है ही नहीं टाइमिंग से चिकित्सक मिलते नहीं और ओपीडी सेवाएं महज दिखावा बनकर रह गई बताते चलें कि सीएचसी परिसर में गंदगी भी देखने को मिली जिससे नहीं दिख रहा है प्रशासन की सख्ती का असर बताते चलें कि नोडल अधिकारी द्वारा और जिलाधिकारी सीतापुर के द्वारा जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया जा रहा है जिसमें नोडल अधिकारी ने अभी हालिया में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया था जहां पर गंदगी मिली तो लताड़ लगाई गई। परंतु इन सभी से कोई भी सीख सीएचसी कसमंडा को शायद नहीं मिली जिससे की सीएचसी परिसर में गंदगी की भरमार दिखाई पड़ी,पान की पीक से परिसर के कुछ कोने रंगीन सुर्ख लाल नजर आए,इधरउधर प्लास्टिक का अन्य अनापयोग कचड़ा नजर आया,बताते चलें कि अधीक्षक अरविंद बाजपेई से भी इस विषय पर बात करनी चाही तो मातहतों ने साहब नहीं हैं व्यस्त हैं मिल नहीं पाएंगे बताया। बताते हैं कि सीएचसी परिसर में इमरजेंसी सेवाएं ठप कहीं जा रही हैं? क्योंकि वह इसलिए की चिकित्सकों की अगर बात की जाए तो लोग बातें कर रहे हैं कि ओपीडी महज एक दिखावा है 1:00 बजे दोपहर के बाद सारे चिकित्सक इधर-उधर हो जाते हैं शाम के वक्त रात्रि में कुछेक ही परिसर में रहते हैं जो इमरजेंसी सेवाओं की कहा जा सकता है की महज दिखावटी काम के लिए रहते हैं ।बताते चलें कि यहां पर दबी आवाज में बातें हो रही है की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक अरविंद बाजपेई रात्रि सेवाओं में नहीं रुकते कभी कभार ही रात में रुकते हैं जिस तरीके से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसमंडा की बातें बदनाम गलियों से होकर गुजरने लगी हैं उससे यह कहा जा सकता है कि आने वाले आगंतुक मरीज संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं तभी तरीके से काफी चर्चित हो रहे हैं। अब इस मामले को उच्च स्तरीय अधिकारी किस तरीके से देखते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा परंतु जो देखने को मिला उससे यह कहा जा सकता है की कसमंडा सीएचसी पर अव्यवस्थाओं का माहौल है।
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बाक्स-1
कोविड-19 का भी सख्ती से नहीं हो रहा पालन
सीतापुर। एक तरफ जहां पूरा देश महामारी के रूप में कोरोनावायरस बन रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हर जगह पर कोरोनावायरस से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयारी में प्रशासन लग गया और हर जगह डब्ल्यूएचओ /शासन की दी हुई गाइडलाइन जारी की जा रही है 2 गज दूरी बहुत जरूरी तथा मास्क लगाएं सुरक्षित रहें जैसे स्लोगन के माध्यम से भी प्रचार प्रसार के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। परंतु सीएचसी में जिस तरीके से लापरवाही की जा रही है। वह भी एक कठोर कटु सत्य है की यहां पर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं कोई भी व्यक्ति नियमों का पालन करते हुए नहीं नजर आ रहा है ऐसा माना जा रहा है कि अधीक्षक अरविंद बाजपेई और यहां के चिकित्सकों की कोरोना से यारी है और यहां पर उसका अटैक नहीं होगा जिससे बिना मास्क कहीं काम करते हुए नजर आ रहे हैं तो जनता भी सुर में सुर मिला रही है और बिना मास्क ही सब आ जा रहे हैं देखना है यह विचार करने वाली बात है अगर इस तरीके से देखा जाए तो एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति आ जाए तो सीएचसी के तौर तरीके से कई लोगों को संक्रमित कर सकता हैँ अब देखना होगा कि प्रशासन क्या इस पर कोई तत्परता से कार्रवाई करेगा या नियम तोड़कर प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जाती रहेंगी।
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बाक्स-2
सीएचसी अधीक्षक की लापरवाही से,सीएचसी क्षेत्र में फूट सकता है कोरोना बम
सीतापुर। जिस तरीके से सीएचसी कसमंडा परिसर में आलम देखा जा रहा है उससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है अगर इस तरीके से यहां पर काम,बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के किया जा रहा तो इसका परिणाम सकारात्मक नहीं बल्कि नकारात्मक निकल सकते हैं, क्योंकि बताते चलें कि देश में लाखों की तादात में प्रतिदिन कोरोना संक्रमित की संख्या में इजाफा हो रहा है। तो वही सीएचसी की लापरवाही कहां तक सही है बताते चलें कि बातें हो रही हैं कि अगर सीएचसी अधीक्षक अरविंद बाजपेई के तरीके से ढिलाई बरती गई तो कहीं भी क्षेत्र में कोरोना बम फूट सकता है। प्रशासन को इस मामले में गंभीरता से विचार करना चाहिए।