लखनऊ, । इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सिटी मांटेसरी स्कूल समेत अन्य संस्थानों में जनसूचना अधिकारी नियुक्त करने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मुख्य राज्य सूचना आयोग द्वारा इस बारे में मुख्य सचिव को जारी आदेश को कानूनन गलत बताया है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि नियमों के तहत यदि सीएमएस किसी सरकारी अधिकारी या पब्लिक अथारिटी को कोई सूचना देने के लिए बाध्य है, तो उसे सूचना देनी पडग़ी। यह आदेश जस्टिस राजन राय व जस्टिस सुरेश कुमार गुप्ता की पीठ ने सीएमएम के फाउंडर मैनेजर जगदीश गांधी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।याचिकाकर्ता ने राज्य सूचना आयोग द्वारा मुख्य सचिव को शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत आने वाले सभी संस्थानों में एक-एक जनसूचना अधिकारी नियुक्त करने के आदेश को उसके क्षेत्राधिकार से परे बताया था। दरअसल आयोग ने यह आदेश संजय शर्मा की ओर से उसके समक्ष प्रस्तुत शिकायत पर दिया था। सीएमएस के अधिवक्ता मनीष वैश्य ने तर्क प्रस्तुत किया कि वह लोक अधिकारी की क्षेणी में नहीं आता है। याचिका पर सुनवाई के दौरान आयोग के आदेश को क्षेत्राधिकार के बाहर पाते हुए कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाते हुए सभी विपक्षीगणों को प्रतिशपथपत्र और याची को प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। साथ ही स्पष्ट किया है कि संजय शर्मा की शिकायत पर आयोग नियमानुसार सुनवाई आगे बढ़ा सकता है।