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दर्जनों गांवों में आतंक का पर्याय बनी बाघिन को ट्रिकुलाइज करने में सफल रेस्क्यू टीम

 

 

खबर दृष्टिकोण: अनुराग मिश्रा

 

गोला गोकर्णनाथ खीरी।वनरेंज मोहम्मदी के ग्राम अजान,इमलिया,घरथनिया ,मूडाजवाहर,मूड़ा अस्सी सहित करीब दर्जन भर गांवों में दहशत का पर्याय बनी खूंखार बाघिन अपने एक शावक के साथ मंगलवार देर शाम करीब 8 बजे वनविभाग की गिरफ्त में आगई।

बाघिन को पकड़ने का अभियान पिछले बर्ष सितंबर माह में शुरू किया गया था,कामयाबी न मिलने पर इस अभियान को बीच मे ही रोंक दिया गया था।इसके बाद 12 अप्रैल को मूड़ा जबाहर निवासी खेत गए किसान मुन्नालाल पर हुए हमले के बाद ग्रामीणों के जनाक्रोश को देखते हुए गोला विधायक अमन गिरी व सम्बंधित ग्रामप्रधानों ने जिला वनअधिकारी संजय विश्वाल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर बाघिन को पकड़वाने का आग्रह किया था, प्रदेश के अधिकारियों के आदेशानुसार वन विभाग ,डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. व ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीमों को पुनः बाघिन को पकड़ने के लिए लगा दी गई। रेस्क्यू टीम ने इमलिया गांव के बाहर सराय नदी के किनारे शावकों सहित बाघिन को पकड़ने के कई इंतजाम किये जिसमें मचान,चारपहिया वाहनों ,खाभर ,ड्रोन कैमरा, थर्मल ड्रोन,बाघिन को बेहोश करने के दो प्रशिक्षित डॉक्टर दुधवा नेशनल पार्क से दयाशंकर व कर्तनिया घाट से दीपक कुमार के अलावा दो प्रशिक्षित हथिनियाँ डायना व सुलोचना को कांबिंग करने के लिए दुधवा नेशनल पार्क से बुलाया गया।

सप्ताह भर से ज्यादा चले इस अभियान में बाघिन ने रेस्क्यू टीम को खूब छकाया ,टीम के सदस्यों ने दिन रात मेहनत की और बाघिन के छिपने के स्थान को चारों ओर से खाभर से घेरकर बाघिन को अपने चंगुल में फंसाने के लिए कई पिजड़े लगाए खाने-पीने का इंतजाम मचान के ठीक सामने करीब बीस मीटर दूर रखा गया।फिर शुरू हुआ आमने-सामने का खेल जिसमे सोमवार को एक शावक पिजड़े में कैद हो गया।और मंगलवार की रात भूखी बाघिन ने शिकार पर अपनी गिरफ्त की तभी मचान पर मौजूद ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट डॉक्टर दीपक कुमार ने सटीक निशाना साधा और कुछ दूरी पर वही बाघिन बेहोश होकर गिर गई।रेस्क्यू टीम ने बिना समय गंवाये बाघिन को पिजड़े में बंदकर सुरक्षित स्थान पर रखा है।

 वहीं बुधवार को दूसरे शावकों का सर्च अभियान चलाया जा रहा है।

रेस्क्यू टीम का नेतृत्व कर रहे मोहम्मदी रेंजर निर्भय प्रताप शाही ने बताया कि बाघिन के साथ दो शावकों को देखा गया था जिसमे बाघिन व एक शावक का रेस्क्यू कर पिजड़े में कैद कर लिया गया है जबकि दूसरे शावक की खोजबीन जारी है।शावकों की उम्र करीब चार-पांच माह है जिस कारण उसे छिपने की काफी जगह मिल जाती है।वहीं बाघिन की उम्र करीब 4-5 बर्ष बताया है ,ट्रेंकुलाइज के बाद हुए स्वास्थ्य परीक्षण में बाघिन व शावक दोनों स्वस्थ पाये गए हैं।जिन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा गया है, दूसरा शावक व उच्च अधिकारियों का आदेश मिलते ही इनको मुक्त किया जायेगा।

रेंजर निर्भर प्रताप शाही ने बताया रेस्क्यू टीम ने बाघ प्रभावित क्षेत्र के विधायक अमन गिरी, बघमरा ग्रामप्रधान, अजान ग्राम प्रधान, एडवोकेट सहेंद्र मिश्र, किसान नेता श्रीकृष्ण वर्मा सहित तमाम लोगों का सहयोग व

 दुधवा नेशनल पार्क की प्रशिक्षित हथिनियाँ डायना व शुलोचना के साथ दुधवा नेशनल पार्क के चिकित्सक डॉ.दयाशंकर व कर्तनिया घाट के चिकित्सक दीपक वर्मा की देख-रेख में डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. दबीर हसन व वनविभाग की टीम में डिप्टी रेंजर रामनरेश वर्मा, डिप्टी रेंजर सुरेंद्र पाल गौतम, वनदरोगा माया प्रकाश वर्मा, विजय सिंह, रोहित श्रीवास्तव, मित्र पाल सिंह तोमर, पंकज कुमार, अखिलेश सिंह, प्रज्वल कुमार, नरेंद्र कुमार वनरक्षक व सचिन वर्मा रोहित कुमार धीरेंद्र कुमार बाघ मित्र सहित समस्त वनस्टाफ़ के सहयोग से बाघिन का रेस्क्यू किया गया।

मीडिया से रेस्क्यू टीम ने बनाये रखी दूरी !

वनविभाग के अधिकारियों व रेस्क्यू टीम ने मीडिया से सारी बातें छिपाते हुए ऑपरेशन बाघिन की शुरुआत की, जिसमें परमीशन को लेकर सटीक जानकारी लोकल की मीडिया को नही दिया गया, और न ही सोमवार को पिजड़े में कैद हुए शावक की कोई जानकारी दी गई।बाघिन के ट्रेंकुलाइज की जानकारी गांवों के सम्भ्रांतो को दिया गया किन्तु मीडिया को भनक तक नहीं लगने दी।

बाघिन का सफल रेस्क्यू होने के बाद रेस्क्यू स्थल का जायजा लेने पहुचीं मुख्य वनसंरक्षक लखनऊ रेणू सिंह ने दूसरे शावक के रेस्क्यू की जानकारी ली।

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