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मैगों बेल्ट को अगर सुरक्षित करना है तो बदलना होगा कानून

*जुर्माने के प्रावधान में होना चाहिए संसोधन*

*आम के हरे पेड़ बेचने और काटने वाले दोनों पर होनी चाहिए कानूनी कार्यवाही*

*पर्यावरण को बचाना है, तो जुर्माने के प्रावधान में बदलाव होना जरूरी*

*खबर दृष्टिकोण लखनऊ*

*आशीष कुमार सिंह विशेष संवाददाता*

*लखनऊ* उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष करोड़ो पेड़ लगाने का टारगेट पूरा करने के लिए समस्त जिलाधिकारियों को निर्देशित करते है और वह स्वंय पर्यावरण दिवस पर पेड़ लगाते हुए फोटो सोशल मिडिया पर खूब वायरल होते नजर आती हैं वही दूसरी तरफ वन विभाग में बैठे जिम्मेदारों को माननीय मुख्यमंत्री के निर्देशों और पेड़ लगाते हुए फोटोग्राफ दिखाई नहीं पड़ते हैं क्योंकि अगर उन जिम्मेदारों को दिखाई पड़ता तो हरी पट्टी जो की मलिहाबाद से लेकर माल तक के क्षेत्र में है वह पूरे देश में ही नहीं विदेशों में मलिहाबादी आम मशहूर हैं लेकिन बड़े ही दुर्भाग्य की बात है अपने देश के कानून में संशोधन की बड़ी जरूरत है वन विभाग के जिम्मेदार उसी कानून के तहत पेड़ो को काटने की परमीशन दे देते हैं वह सरासर गलत है वन विभाग के अधिकारी परमिशन तो बड़े ही आसानी से दे देते हैं लेकिन जिन पेड़ों का परमिशन होता है क्या वास्तविक में वह पेड़ रोग ग्रस्त होते हैं यह बहुत बड़ा जांच का विषय है क्योंकि कागजी कार्यवाही पर कोई भी अधिकारी अपनी कलम नहीं फसांता है वह अपनी कलम को बचाकर बड़े ही आसानी से हरे भरे वृक्षों को काटने का परमिशन दे देते हैं जिसका खामियाजा पर्यावरण को बर्बाद करने में एक अहम भूमिका दिखाई पड़ती है। जबकि हरे पेड़ों को काटने के पश्चात एक प्रस्ताव पारित हुआ था कि अगर एक पेड़ आप काटेंगे तो दो पेड़ लगाएंगे लेकिन यहां पर बिल्कुल उल्टा असर दिखाई देता है आपको बता दें अगर कोई किसान अपना बाग बेचता है तो उसमें अगर 100 पेड़ होते हैं तो 20 पेड़ों का रोग ग्रस्त दिखाकर वन विभाग से परमिशन ले लिया जाता है फिर उसके बाद क्षेत्रीय पुलिस को 40% कमीशन देकर उस बाग का नामोनिशान मिटा दिया जाता है जैसे की 20 पेड़ों के परमिशन को तो पहले काटा गया फिर जेसीबी से उसकी जड़े उखाड़ कर ट्रैक्टर से लेवल करके उसको खेत बना दिया जाता है फिर उसी परमिशन पर इसी तरीके से धीरे-धीरे पूरा बाग सफाई कर दिया जाता है। इस भ्रष्टाचार को देखते हुए सरकार को एक नया कानून लागू करना चाहिए की जो भी किसान हरे पेड़ों का सौदा करता है और जो पेड़ कटवाता है उस पर जांच करके दोनों पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। तभी जाकर पर्यावरण को बचाया जा सकता है अन्यथा जैसे चलते चला आ रहा है वैसे ही चलता रहेगा पर्यावरण को कभी बढ़ावा नहीं दिया जा सकता क्योंकि पेड़ों को लगाने वाले गिने चुने लोग हैं और पेड़ों को काटने वाले हजारों की तादाद में है यह एक बहुत ही गंभीर विषय है इस विषय पर अगर कोई पत्रकार खबर करने के लिए मौके पर जाता है तो उसको कहीं ना कहीं या तो मुकदमे में फंसा दिया जाता है या फिर उसके ऊपर जानलेवा हमला कर दिया जाता है यह एक बहुत बड़ी विडंबना है एक तरफ पत्रकारों की सुरक्षा के लिए डीजीपी साहब आदेश करते हैं दूसरी तरफ पत्रकारों के ऊपर हमले भी हो रहे हैं और झूठे मुकदमे भी लिखा जा रहे हैं सरकार को चाहिए कि इस तरीके की जो हो रही घटनाएं हैं उसे पर कोई नया कानून लागू करके इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है।

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