प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगोड़ा घोषित महोबा के निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार के वकील की याचिका को आधारहीन और न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग मानते हुए उन पर पांच लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। साथ ही दिल्ली बार काउंसिल से याची (अधिवक्ता) के कृत्य पर निर्णय लेने को कहा है। कोर्ट ने हर्जाना की राशि एक माह में हाईकोर्ट के विधि कोष में जमा कराने का निर्देश भी दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने याची (पाटीदार के वकील) और राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व अपर शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड को सुनकर दिया है।अधिवक्ता ने याचिका दाखिल करके लखनऊ के हजरतगंज और प्रयागराज के कर्नलगंज इंस्पेक्टर को उसकी एफआइआर दर्ज करने व एफआइआर की कापी उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की थी। साथ ही सीबीआई को दोनों एफआइआर की विवेचना का निर्देश देने की मांग भी की थी। इसके अलावा मणिलाल पाटीदार से मुलाकात करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने की मांग भी वकील ने की थी। कोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग मानते हुए याची वकील पर जुर्माना लगाया है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसपी कौशांबी को पुलिस द्वारा पकड़ कर ले जाने के बाद से लापता मुल्केश्वर उर्फ मलुक को पेश न करने व हलफनामे में कोई जानकारी न देने के कारण 18 अगस्त को हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एसपी ने आदेश की न केवल अवहेलना बल्कि कर्तव्य पालन में लापरवाही बरती है। कोर्ट ने एसपी के हलफनामे पर असंतोष व्यक्त किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मुल्केश्वर व अन्य की याचिका पर दिया है।10 जून 2021 को चरवा थाने में जबरन शादी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पीड़िता का पुलिस ने बयान लिया और कोर्ट में भी 15 जुलाई 2021 को बयान दर्ज किया गया। बयान के बाद स्पष्ट हो गया कि कोई अपराध नहीं बनता। पुलिस याची को 14 जुलाई को पकड़कर ले गई। उसकी मां अपने बेटे की जानकारी के लिए पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगा रही है। छह अगस्त को कोर्ट ने याची को 10 अगस्त को पेश करने का निर्देश दिया। एसपी ने न तो याची को पेश किया और न ही अपने हलफनामे में इसका कोई जिक्र किया। ऐसे में कोर्ट ने स्पष्टीकरण के साथ एसपी को तलब किया है।