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किसान, विद्यार्थी एवं वैज्ञानिक सम्मिलित रूप से कृषि चुनौतियों पर करेंगे मंथन

 

खबर दृष्टिकोण

ब्यूरो रिपोर्ट

सीतापुर। कृषि विज्ञान केंद्र कटिया में ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव रावी कार्यक्रम के अंतर्गत इंटीग्रल विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं बांदा कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के कृषि स्नातक चतुर्थ वर्ष के छात्रों का दो महीने की अवधि के लिए कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने रावी कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कार्यक्रम छात्रों के समग्र विकास एवं ग्रामीण कृषि चुनौतियो के अध्ययन लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्र कृषि के विविध आयामों को गहराई से समझ सकेंगे, साथ ही उनमें सामाजिक जिम्मेदारी, नेतृत्व क्षमता और संवेदनशीलता का विकास होगा, जो उनके भविष्य के पेशेवर जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक एवं रावी समन्वयक, शैलेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को कृषि के व्यावहारिक अनुभव से रूबरू कराना है। इसके माध्यम से छात्र ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से संबंधित वास्तविक चुनौतियों और समस्याओं को समझ सकेंगे। साथ ही, उन्हें फसल प्रबंधन, मृदा एवं जल प्रबंधन, पशुपालन और अन्य कृषि गतिविधियों में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यह न केवल उनके तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करेगा, बल्कि उन्हें किसानों के साथ प्रभावी समन्वय स्थापित करने का भी अवसर प्रदान करेगा।

पशुपालन वैज्ञानिक, डॉ. आनंद सिंह ने ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव में कृषि विज्ञान केंद्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को विभिन्न गतिविधियों में संलग्न किया जाएगा, साथ ही केंद्र द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं में भी उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। इससे वे नवीनतम कृषि तकनीकों और अनुसंधानों के बारे में अद्यतित रह सकेंगे।

सस्य वैज्ञानिक, डॉ. शिशिरकांत सिंह ने कहा कि रावे कार्यक्रम छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर किसानों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है, जिससे वे किसानों की समस्याओं को गहराई से समझने और उनके समाधान में योगदान करने में सक्षम होंगे।

मृदा वैज्ञानिक, श्री सचिन प्रताप तोमर ने छात्रों से प्राकृतिक खेती के प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि यह विधि न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

गृह वैज्ञानिका, डॉ. रीमा ने छात्रों को मोटे अनाज की खेती से जुड़े संभावनाओं और चुनौतियों पर सर्वेक्षण करने की सलाह दी, ताकि वे इस क्षेत्र में अधिक गहन अध्ययन और शोध कर सकें।

छात्रों ने इस कार्यक्रम के प्रति अपनी उत्सुकता व्यक्त की और कहा कि इस प्रकार का व्यावहारिक अनुभव उनके लिए अत्यंत लाभदायक साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल उनके तकनीकी कौशल में सुधार लाएगा, बल्कि उन्हें ग्रामीण समाज के साथ जुड़ने और उनके विकास में योगदान करने की प्रेरणा भी देगा।

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