लखनऊ, । बालू अड्डा में एक साथ दो दर्जन से अधिक मरीजों में कॉलरा की पुष्टि ने स्वास्थ्य विभाग से लेकर शासन-प्रशासन तक की नींद हराम कर दी है। शनिवार को भी इस मामले पर शासन के साथ स्वास्थ्य विभाग की बैठक जारी है। वैसे कॉलरा कोई नई बीमारी नहीं है। मगर प्रदेश में करीब 15 वर्षों बाद एक साथ इतने मरीज मिलने से स्वास्थ्य निदेशालय व सरकार भी हरकत में आ गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कॉलरा विब्रियोकॉलरी बैक्टीरिया से होता है, जिसकी एक मात्र वजह वजह सीवर यानी शौचालय के पानी का पेयजल में मिक्स हो जाना है। इसका मतलब साफ है कि बालू अड्डा के पेयजल में कहीं न कहीं से शौचालय का पानी पहुंचा, जिसे पीकर लोग एक साथ इतनी बड़ी संख्या में कॉलरा के शिकार हुए।लोहिया संस्थान के बालरोग विशेषज्ञ डा. केके यादव कहते हैं कि कॉलरा डायरिया का ही बिगड़ैल रूप है। इस बीमारी की वजह विब्रियो कॉलरी बैक्टीरिया है। इसीलिए इसको कॉलरा कहते हैं। इस बीमारी में मौतें बहुत अधिक होती हैं। मगर करीब 15 वर्षों से एक साथ इतने केस किसी एक स्थान पर जानकारी में नहीं आए। सिर्फ एक-दो केस आते थे। उन्होंने बताया कि कॉलरा बच्चों व बड़ों दोनों को चपेट में लेता है। जबकि डायरिया के मामले बड़ों में कम मिलते हैं। कॉलरा और डायरिया के लक्षण भी एकजैसे होते हैं। डायरिया की वजह सिजेला, साल्मोनेला, विब्रियो कॉलरी, ई-कोलाई या फिर छोटे बच्चों में रोटा वायरस भी हो सकता है।सीएमओ डा. मनोज अग्र्रवाल ने बताया कि बालू अड्डा में कॉलरा और डायरिया दोनों ही बीमारी से लोग ग्र्रस्त हैं। कुछ को कॉलरा है व कुछ को डायरिया। वहीं नगरीय स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी डा. सरोज श्रीवास्तव ने बताया कि यहां डायरिया के लक्षणों वाले मरीज सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद वायरल बुखार व पेटदर्द की समस्या वाले मरीज भी काफी संख्या में आ रहे हैं।
