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उच्च अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री से लगाई न्याय की गुहार

 

कर्मचारी यूनियन अध्यक्ष ने लगाई मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार

 

खबर दृष्टिकोण।

 

उ.प्र. राजकीय निर्माण निगम लि0 कर्मचारी यूनियन अध्यक्ष उमाकान्त (मानचित्रकार विभाग) ने निगम के प्रबन्ध निदेशक रामनाथ सिंह व अन्य अधिकारियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित एवं अभद्र व्यवहार किया जा रहा है और बताया कि दो बड़ी बीमारियो हृदय रोग व मधुमेय रोग ग्रसित हूं। जिसको लेकर पत्र द्वारा मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाते हुए बताया कि प्रबध निदेशक जी के द्वारा हमे प्रताड़ित किया जा रहा है व्यक्तितगत द्ववेश कि भावना के कारण कार्यालय में मेरा प्रवेश वर्जित कर दिया गया और मेरे मुख्यालय प्रवेश पास को भी निरस्त कर दिया गया और बिना किसी आरोप के हम पर कई विभाग में हो रही गतिविधियों की जाँच लागु कर प्रताड़ित किया जा रहा है जिससे मेरे साथ मेरा परिवार भी परेशानियों से जूझ रहा है ।

 और बताया कि जांचों को निस्तारित किये जाने के लिए निगम के प्रबन्ध निदेशक को पत्र प्रेषित कर अनुरोध किया गया था। क्योंकि दोनों जांचों के जांच अधिकारियों द्वारा कई महीनों पूर्व जांच सम्बन्धी सभी औपचारिकताओं को पूर्ण कर लिया गया है, और जांच आख्या महीनों पूर्व निगम के प्रबन्ध निदेशक महोदय को प्रेषित कर दी गयी है, परन्तु निगम के प्रबन्ध निदेशक द्वारा जांचों को निस्तारित करने में कोई रूचि नही ली जा रही है। जिसके कारण मै मानसिक रूप से परेशान हूं।

 प्रबन्ध निदेशक कार्यालय में तैनात कर्मी श्री मनीष पाल द्वारा बुलाया गाय और प्रबन्ध निदेशक के निजी सचिव व कुछ अन्य अधिकारीगण पहले से मौजूद थे। वहां पहुंचते ही प्रबन्ध निदेशक द्वारा परिचय पूछा गया। उसके बाद प्रबन्ध निदेशक महोदय गुस्से से आग बबूला हो गये और बरस पड़े कि उन्होने अपनी जांचों को निस्तारित करने हेतु अनुरोध पत्र क्यों लिखा, उसके बाद प्रबन्ध निदेशक महोदय ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुये अपमानित करना शुरू कर दिया और अपमानित करने के साथ-साथ प्रबन्ध निदेशक द्वारा यह धमकियां दी गयी कि तुम्हारी दोनों जांचों का दण्डादेश निर्गत करते हुये, जांचे निस्तारित कर दूंगा, तुम्हारा स्थानान्तरण किसी अन्य प्रान्त में कर दूंगा, तुम्हे सस्पेंड कर दूंगा, तुम्हारा वेतन रोक दूंगा एवं मैं तुम्हे तुम्हारी औकात बता दूंगा तथा जब तक मैं हूँ तब तक तुम्हे शान्ति से नौकरी नहीं करने दूंगा। मेरी कोई बात सुने बिना ही अपने कक्ष से भगा दिया।

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