पार्थ सारथी सेन शर्मा
अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने तम्बाकू सेवन न करने की ली शपथ
ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ
लखनऊ।हमारी युवा पीढ़ी को तम्बाकू उद्योग की पहुंच से बचाना एक स्वस्थ, धूम्रपान-मुक्त भविष्य तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। तम्बाकू का उपयोग वैश्विक स्तर पर कैंसर का प्रमुख कारण है, जो कैंसर से संबंधित सभी मौतों का लगभग 22 प्रतिशत है। भारत में तम्बाकू का सेवन विभिन्न रूप में किया जाता है, जिससे धूम्रपान और धुंआ रहित तम्बाकू (चबाने वाले तम्बाकू,गुटखा,खैनी) शामिल हैं। उ0प्र0 में धुंआ रहित तम्बाकू का उपयोग विशेष रूप से अधिक है एवं भारत में धुंआ रहित तम्बाकू की खपत की दर दुनिया में सबसे अधिक है। यह उद्गार श्री पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मुख्यालय में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर अघिकारियों और कर्मचारियों को तम्बाकू सेवन न करने की शपथ दिलाते समय व्यक्त किये। इस अवसर पर डा0 पिंकी जोवल, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, महानिदेशक, परिवार कल्याण आदि गणमान्य अधिकारी मौजूद रहे।
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर डा0 पिंकी जोवल, मिशन निदेशक,राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने कहा कि धूम्रपान करने वालों को बांझपन का खतरा 60 प्रतिशत अधिक होता है, महिला प्रजनन क्षमता में 30 प्रतिशत की कमी होती है, और गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से 20-30 प्रतिशत कम वजन वाले बच्चे पैदा होते हैं, 14 प्रतिशत समय से पहले बच्चे का जन्म होता है, और 10 प्रतिशत गर्भावस्था में शिशु मृत्यु होती है और जन्म दोषों का 30 प्रतिशत जोखिम अधिक होता है। उन्होने कहा कि भारत में धूम्रपान करने वालों का एक बड़ा हिस्सा निष्क्रिय धूम्रपान (पैसिव स्मोंिकंग) के संपर्क में आता है। लगभग 38 प्रतिशत वयस्क और 52 प्रतिशत बच्चे सार्वजनिक स्थानों, घरों और कार्यस्थलों पर धूम्रपान के संपर्क में आते हैं। पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आने से सालाना करीब 8.9 लाख असामयिक मौतें होती हैं।
तम्बाकू के दुष्प्रभावों के बारे में बात करते हुए धीरेन्द्र सचान, अपर मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को मनाया जाने वाला एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम है, जो स्वास्थ्य पर तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और तंबाकू की खपत को कम करने के लिए प्रभावी नीतियों को बनाने के लिए समर्पित है। इस वर्ष की थीम, ‘‘तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों का बचाव‘‘ है। जो कि तंबाकू के सेवन के खिलाफ लड़ाई में अत्यधिक महत्व रखती है।
महाप्रबंधक, राष्ट्रीय कार्यक्रम (गैर संचारी रोग) लक्ष्मण सिंह ने इस अवसर पर बताया कि राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 75 जनपदों में तम्बाकू निषेध हेतु गहनता से मुहिम चलाई जा रही है। शपथ लेने वालों में मुख्य रूप से डा0 अम्बुज श्रीवास्तव, महाप्रबंधक, राष्ट्रीय कार्यक्रम (संचारी रोग), महाप्रबंधक, डा0 रवि प्रकाश दीक्षित, महाप्रबंधक, मातृ स्वास्थ्य, डा0 मनोज शुक्ल, महाप्रबंधक, नियमित टीकाकरण, डा0 सलिल श्रीवास्तव, महाप्रबंधक, एन.यू.एच.एम., डा0 अर्चना वर्मा, महाप्रबंधक, नियोजन, डा0 नीतू शुक्ला, उपमहाप्रबंधक, एन.सी.डी., परामर्शदाता अभय द्विवेदी एवं सहयोगी संस्थाओं डब्लू.एच.ओ., यूनिसेफ, बेसिक शिक्षा, आई.सी.डी.एस. के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।