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महाशिवरात्रि पर भक्तिमय माहौल, दर्शन-पूजन और जलाभिषेक कर निकाली गई शिव बारात में मौजूद रही भक्तों की बड़ी संख्या

 

अभिषेक कुमार

 

लखनऊ। देशभर में महाशिवरात्रि का पावन त्योंहार कड़ी सुरक्षा के बीच धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर प्रदेश भर के विभिन्न शिव मंदिरो में दर्शन पूजन और शिवलिंग का श्रृंगार कर जलाभिषेक के लिए तड़के सुबह से ही भक्तों की बड़ी संख्या देखने को मिली। भक्तिमय माहौल में पारा स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर की तो बात ही निराली है आज शिवरात्रि के अवसर पर सुबह से ही महादेव के दर्शन कर जलाभिषेक करने के लिए भक्तो की लम्बी कतारे लगी रही। ऐसा ही नजारा डालीगंज के मनकामेश्वर मंदिर, चौक के कोनेश्वर मंदिर, बाज़ार खाला के ग़ौरी शंकर महादेव मंदिर समेत शहर के कई शिव मंदिरो में दर्शन के लिए भक्तों की बड़ी संख्या मौजूद रही। व लंबी लंबी कतारें लगाकर लोग अपनी बारी आने का इंतजार करते नजर आए । साथ ही अपनी बारी आने पर भक्तों ने शिवलिंग पर दूध और जल चढाकर पूजा अर्चना की ।

 

कतारों में लगे भक्त, गूंजे बम-बम भोले के जयकारे

 

बड़ी तादाद में दर्शन के लिए लगे शिव भक्तों में ग़जब का उत्साह देखने को मिला। बुद्धेश्वर महादेव के मंदिरो में दर्शन के लिए लम्बी कतार में खड़े भक्तों ने बम-बम भोले के जयकारे लगाकर बाहर खड़ी भीड़ में माहौल भक्तिमय कर दिया।

 

सोमवार को दर्शन पूजन का विशेष महत्व

 

शहर में वैसे तो कई शिव मंदिर स्थित हैं और हर किसी का अपना एक इतिहास है। इन्हीं मदिरों में एक निराला शिव मंदिर है, जो बुद्धेश्वर महादेव के नाम से प्रख्यात है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां सोमवार को शिवजी की वंदना कर जो भी भक्त अपने सच्चे मन से बुद्धेश्वर महादेव से जो भी मनोकामना करता है उसे महादेव जल्द ही पूरा कर देते है।

 

 

महिला-पुरुष दोनों की अलग लाइन की रही व्यवस्था ।

 

बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए आये भक्तों की लम्बी कतारों का विशेष ध्यान रखा गया। मंदिर कमेटी द्वारा महिला और पुरुष दोनों की भक्तों की अलग-अलग लाइन का प्रबंध किया गया।

 

 

त्रेतायुग में बना बुद्धेश्वर महादेव मंदिर

 

बुद्धेश्वर महादेव मंदिर की खास बात के बारे में यह भी तथ्य सामने आया,कहा जाता है कि यह मंदिर त्रेतायुग से निर्मित है। अर्थात भगवान राम के काल में इस मंदिर की स्थापना की गई थी। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने की थी।

 

 

आख़िर क्यों पड़ा नाम बुधेश्वर?

 

कहा जाता है भगवान राम के आदेश पर लक्ष्मणजी माता सीता को लेकर बन में छोड़ने जा रहे थे। जब वह इस स्थान पर पहुंचे तो उनके मन में माता सीता की सुरक्षा को लेकर चिंता उठने लगी। ऐसे में उन्होंने इस स्थान पर भगवान शिव का ध्यान किया। भगवान शिव उन पर प्रसन्न हुए और प्रकट होकर उनका संदेह दूर करते हुए उन्हें माता सीता के विराट स्वरूप का दर्शन कराया। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन बुधवार था। इसीलिए यहां स्थापित शिवलिंग को बुधेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

 

बुद्धेश्वर मंदिर-पौराणिक घटना को सच सिद्ध करता

 

इस मंदिर के पास ही कुछ दूरी पर एक कुंड स्थित है। इस कुंड को सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि लक्ष्मण जी जब भगवान शिव की साधना करने बैठे तब माता सीता ने इस कुंड में हाथ-पैर धोकर कुछ समय इसी के किनारे पर बिताया था। तभी से इस यह कुंड सीता कुंड के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर में पूजा करने आनेवाले भक्त शिव दर्शन के बाद कुंड का भी पूजन करते हैं। इस तरह यह कुंड मंदिर से जुड़ी इस पौराणिक घटना को सही साबित करता है।

 

 

बुधवार को होती है विशेष पूजा

 

आमतौर पर शिव मंदिरों में सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार को शिवजी की पूजा का विधान है। इस दिन इस मंदिर में शिवजी की पूजा के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। शिवरात्रि पर शिवबारात को लेकर भक्तो मे विशेष उत्साह देखने को मिला । सैक्ड़ो की संख्या मे भक्त शिव जी की बारात लेकर बुद्धेश्वर महादेव मंदिर पहुचे । दर्जनो भक्तो ने बारी बारी से शिवबारात निकाली ।

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