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विश्व वैटलैंड दिवस पर जागरूकता गोष्ठी आयोजित

 

 

लखनऊ। मेरी प्यारी गौरैया संरक्षण समिति के अध्यक्ष पंक्षी प्रेमी महेश साहू द्वारा विश्व वैटलैंड दिवस पर त्रिलोकी सिंह इण्टर कालेज बरावन कला दुबग्गा में छात्र छात्राओं व आमजनमनास को जागरूक करने के लिए जागरूकता गोष्ठी आयोजित की गई।‌

 

मेरी प्यारी गौरैया संरक्षण समिति के अध्यक्ष (पंक्षी प्रेमी) महेश साहू ने मुख्य अतिथि डॉ निर्मल श्रीवस्तव अति विशिष्ट अतिथि विनोद कुमार साहू, डिप्टी रेंजर मनीष कनौजिया व अतिथि विनोद कुमार का पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत सम्मान किया।

 

डॉ निर्मल श्रीवस्तव ने छात्र छात्राओं व आमजनमानस को सम्बोधित करते हुए कहा कि धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नहीं है अपितु इसके विभिन्न भागों में विद्यमान करोड़ों प्रजातियों का भी इस पर उतना ही अधिकार है जितना कि हमारा।नदियों, झीलों, समुद्रों, जंगलों और पहाड़ों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पादपों एवं जीवों को देखकर हम रोमांचित हो उठते हैं। दरअसल वेटलैंड (आर्द्रभूमि) एक विशिष्ट प्रकार का पारिस्थितिकीय तंत्र है तथा जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। जलीय एवं स्थलीय जैव-विविधताओं का मिलन स्थल होने के कारण यहाँ वन्य प्राणी प्रजातियों व वनस्पतियों की प्रचुरता पाए जाने की वज़ह से वेटलैंड समृ़द्ध पारिस्थतिकीय तंत्र है।

 

पंक्षी प्रेमी महेश साहू ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पेड पौधे, पंक्षीयो , नदियों, तालाबों, पार्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी है इसके लिए हम सबको आगे आकर विशेष दिवस पर नहीं अपितु प्रतिदिन कुछ ना कुछ प्रयास करने होंगे।

 

विनोद कुमार साहू ने कहा कि वेटलैंड्स को ‘किडनीज़ ऑफ द लैंडस्केप’ यानी ‘भू-दृश्य के गुर्दे’ भी कहा जाता है। जिस प्रकार से हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का कार्य किडनी द्वारा किया जाता है, ठीक उसी प्रकार वेटलैंड तंत्र जल-चक्र द्वारा जल को शुद्ध करता है और प्रदूषणकारी अवयवों को निकाल देता है। जल एक ऐसा पदार्थ है जिसकी अवस्था में बदलाव लाना अपेक्षाकृत आसान है।

जल-चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे में परिवर्तित होने और एक भंडार से दूसरे भंडार या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने की चक्रीय प्रक्रिया है। जलीय चक्र निरंतर चलता है तथा स्रोतों को स्वच्छ रखता है और पृथ्वी पर इसके अभाव में जीवन असंभव हो जाएगा।

 

वन दरोगा विनोद कुमार ने कहा कि आज के आधुनिक जीवन में मानव को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है और ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हम अपनी जैव-विविधता व पक्षिंयो के सरंक्षण को आगे आएं।

 

इस मौके पर मनीष गुप्ता, वन रक्षक शैलेन्द्र सिंह लोधी, डॉ शादाब अहमद,ताहिर रजा, चांदनी साहू, सहित अन्य गणमान्य लोग व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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