खबर दृष्टिकोण:- पुष्पेन्द्र कनौजिया।
पिपरिया धनी। श्री गुरु नानक देव जी के सातवें स्वरूप श्री गुरु हरराय महाराज के आगमन पर्व पर शिवपुरी गुरुद्वारा साहिब सेवादार बाबा सुखदेव सिंह सिंह जी के सहयोग के साथ शिवपुरी क्षेत्र की समस्त संगत के सहयाेग से नगर कीर्तन धूमधाम से निकला गया । नगर कीर्तन का जगह जगह फूलों की वर्षा कर स्वागत किया जिसमें सबसे आगे शामिल बच्चों ने गतका प्रदर्शन से पहुंची हुई संगतो को निहाल किया, छोटे बड़े सभी निहंगों गतका करते हुए तमाम करतब दिखाएं इस दाैरान अलग-अलग रागी एवं कीर्तनी जत्थों ने कीर्तन व कथा करके संगत को गुरु नाम के साथ जोड़ा। इसके बाद सुंदर पालकी साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की उपस्थिति में पांच प्यारों एवं पांच निशानची सिंहों के नेतृत्व में नगर कीर्तन आरंभ किया गया। शिवपुरी गुरुद्वारा से पिपरिया धनी गुरुद्वारा होते हुए गोरिया गुरुद्वारे से गुरुद्वारा बाबा बिधि चंनद (लखा)में समाप्ति हुई । उसके बाद प्रशाद गरहन किया फिर गुरु का लंगर छकाया गया इस मौके पर मुख्य सेवादार सुखजिंदर सिंह, कुलविन्दर सिंह, भवन्त सिंह, कृपाल सिंह,ज्ञान सिंह, प्रगट सिंह,डा दलबीर सिंह और कई छेत्रो कि संगत मौजुद रही।
आइए जाने कौन थे श्री गुरू हरराय ये एक महान आध्यात्मिक व राष्ट्रवादी महापुरुष एवं एक योद्धा भी थे। उनका जन्म सन् १६३० ई० में कीरतपुर रोपड़ में हुआ था। गुरू हरगोविन्द साहिब जी ने मृत्यु से पहले, अपने पोते हरराय जी को १४ वर्ष की छोटी आयु में ३ मार्च १६४४ को ‘सप्तम् नानक’ के रूप में घोषित किया था। गुरू हरराय साहिब जी, बाबा गुरदित्ता जी एवं माता निहाल कौर जी के पुत्र थे। गुरू हरराय साहिब जी का विवाह माता किशन कौर जी, जो कि अनूप शहर (बुलन्दशहर), उत्तर प्रदेश के श्री दया राम जी की पुत्री थी, हर सूदी ३, सम्वत १६९७ को हुआ। गुरू हरराय साहिब जी के दो पुत्र थे श्री रामराय वडवाल और श्री हरकिशन साहिब जी (गुरू) थे।
