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सभी जिला अधकारियों को एंबुलेंस की चाबी जमा कराने के निर्देश

लखनऊ, यूपी में एंबुलेंस सेवा ठप कर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ बुधवार को और सख्त कार्रवाई की गई। मंगलवार को 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर व आठ कर्मियों के खिलाफ एफआइआर कराए जाने के बावजूद हड़ताल पर डटे 570 और एंबुलेंस कर्मियों को बुधवार को नौकरी से हटा दिया गया। बर्खास्त किए जाने वालों में एंबुलेंस ड्राइवर व इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) शामिल हैं। उधर शासन की ओर से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह एंबुलेंस की चाबी जमा कराएं और इसे चलाने के लिए तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करें। 60 प्रतिशत तक एंबुलेंस के संचालन का दावा किया जा रहा है। गुरुवार को सभी एंबुलेंस संचालित होने की उम्मीद जताई जा रही है। बीते रविवार की रात 12 बजे अचानक एंबुलेंस सेवा ठप किए जाने के बाद से मरीज बेहाल हैं। उन्हें तीमारदार निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचा रहे हैं। हड़ताल का फायदा निजी एंबुलेंस संचालक भी उठा रहे हैं। वह अस्पताल पहुंचाने का ज्यादा किराया वसूल रहे हैं।प्रदेश में 108, 102 व एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम (एएलएस) एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही जीवीकेईएमआरआइ के यूपी के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट टीवीएसके रेड्डी ने बताया कि एंबुलेंस पर तैनात 570 ड्राइवर व ईएमटी को बर्खास्त कर दिया गया है। यह वे कर्मचारी हैं जो लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और खेमेबाजी कर दूसरे एंबुलेंस कर्मियों को भी हड़ताल करने के लिए उकसा रहे हैं। रेड्डी ने ऐसे और कर्मचारियों को चिन्हित कर बर्खास्त करने की चेतावनी दी है।धर हड़ताल कर रहे एंबुलेंस कर्मियों का कहना है कि एएलएस एंबुलेंस सेवा जिगित्सा हेल्थ केयर को दी जा रही है और वह 13,500 रुपये की बजाए 10 हजार महीना मानदेय ही देने की बात कर रहे हैं, जबकि 20 हजार रुपये प्रशिक्षण के नाम पर मांगे जा रहे हैं। कर्मियों का कहना है कि ऐसे में सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से एंबुलेंस का संचालन न किया जाए और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत एंबुलेंस कर्मियों को संविदा पर तैनात कर काम लिया जाए। उधर अधिकारी इस पर राजी नहीं हैं।

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