ख़बर दृष्टिकोण लखनऊ।
प्रदेश में विगत पाँच वर्षों में फसल उत्पादन का क्षेत्रफल 1.80 लाख हेक्टेयर बढ़ा है जबकि कृषि उत्पादन में इस दौरान सवा लाख मैट्रिक टन की वृद्धि हुई है। सरकार हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है। प्रदेश में सिंचन क्षेत्र का विस्तार हुआ है। कृषि निवेशों खाद, बीज, कृषि रक्षा रसायन की कोई कमी नही है। कृषि क्षेत्र में यन्त्रीकरण बढ़ा है जिससे कृषि कार्य सुलभ हुआ है। कृषि मंत्री शुक्रवार को इंन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठान में आयोजित रबी उत्पादकता गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 50 हजार नये सोलर पम्प स्थापित किये जाने की घोषणा की। उन्होने कहा योगी सरकार किसानों को अनुदान पर कृषि यन्त्र उपलब्ध करा रही है। इस वर्ष सराकार कृषि यन्त्रों पर 3.5 करोड़ रुपये अनुदान देगी। उन्होने कहाँ की किसान भाई गन्ने के कूड से कूड के बीच खाली जगह में मिश्रित खेती के रूप में मक्का, आलू, चना, हल्दी अदरख धनिया आदि की फसल लगा कर अतिरिक्त उपज और आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। कृषि मंत्री शाही ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जन स्वास्थ के मद्देनजर सरकार प्राकृतिक खेती और मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इसके चलते राज्य में मौजूदा खरीफ सत्र में अन्न का क्षेत्रफल बढ़ा है। अन्न को बढ़ावा देने के उद्देश्य से औजूदा खरीफ सत्र में किसानों को अन्न के बीज मुफ्त में उपलब्ध कराये गये। राज्य सरकार अगामी 29 अक्टूबर 2023 को लखनऊ में मिलेट्स महोत्सव तथा माह दिसम्बर में कृषि कुम्भ का आयोजन करेगी। कृषि कुम्भ में कृषि में अग्रणी देशों प्रतिनिधियों को आमन्त्रित किया जायेगा। सरकार ने आगामी रबी सत्र 2023-24 में क्षेत्र आच्छादन में 86000 हेक्टेयर की वृद्धि का लक्ष्य रखा है वहीं उत्पादन में 20 लाख 83 हजार मैट्रिक टन वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है।
मंत्री शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किसानों से उनकी उपज को खरीद कर उसकी सही कीमत देने का कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा खरीब एवं रबी फसलों में लगभग 18 फसलों की एमएसपी को डेढ़ गुना से ज्यादा किया गया है। फसलों में रबी की फसल महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। उन्होंने कहा कि लगभग 2.10 हेक्टेयर की बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दलहन एवं तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु लगभग 9 लाख से ज्यादा तिलहन और दलहन की किट उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि मक्के का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। मक्के की एमएसपी बढ़ाई गयी है। उन्होंने कहा कि देश ही नही दुनिया का पेट भरने वाला बनना है। इसके लिए समय से खेती करके उत्पादन बढ़ाना बहुत जरूरी है। छोटे-छोटे कोशिश कृषि क्षेत्र मे उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 7 कुंतल से ज्यादा बीज 50 प्रतिशत अनुदान के साथ किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे है। प्लाटों का डिजिटल सर्वे कराया जा रहा है। लगभग 21 जनपदों का सर्वे कार्य पूर्ण हो गया है। डिजिटल सर्वे के माध्यम से किसानों को खेत मे कौन सी फसल लगानी, काटनी तथा बेचने की जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी। उन्होंने कहा कि रबी की फसलों के हर प्लाट का खसरा तैयार करवाया जायेगा।
गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती और जैविक खेती के बारे मे विस्तार से बताया जाय। प्राकृतिक खेती पर अधिक से अधिक जोर दिया जाय। प्राकृतिक खेती से क्वालिटी बेहतर हो सकेगी। उन्होंने कहा मात्रा और गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने गन्ना उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का कार्य किया गया है। बन्द हो चुकी चीनी मिलों को चालू करने तथा नई चीनी मिलों को खोलने का कार्य किया जा रहा है।
प्रदेश उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि गेहू और धान के अलावा औद्यानिक फसलों का भी समान रूप से उत्पादन किया जाय। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों मे हाईटेक नर्सरी की स्थापना की जा रही है। नर्सरी में ही क्षेत्रीय क्लाइमेट जोन के अनुसार स्वस्थ एवं गुणवत्तायुक्त पौध का उत्पादन कर किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। आलू बीज मे आत्मनिर्भर बनने के लिए आगरा मे अंतरराष्ट्रीय रिसर्च सेंटर बन रहा है। उन्होंने कहा कि पारम्परिक खेती के साथ ही बागवानी एवं पशुपालन पर ध्यान दिया जाय। प्रदेश के कई जनपदों मे फूलों की डिमांड ज्यादा है इसलिए फूलों की खेती कर भी अच्छी आमदनी की जा सकती है। खाद्य प्रसस्करण की इकाईयों को खोलने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 35 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। इसके साथ ही खाद्य प्रसस्करण की इकाईयों के लिए फेसलेटर नियुक्त किये गये है।
अपर मुख्य सचिव कृषि डा देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि प्रदेश के सकल कृषि उपज में 66 प्रतिशत योगदान रबी फसलों का होता है। उन्होंने बताया कि विगत रबी सीजन 2022-23 में 134.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की फसलें बोई गई थीं जिसे बढ़ाकर रबी सीजन 2023-24 में 134.85 लाख हेक्टेयर कर दिया गया है। इसी प्रकार रबी सीजन 2022-23 में कुल उत्पादन जहां 427.83 लाख मीट्रिक टन हुआ था जिसका उत्पादन लक्ष्य रबी सीजन 2023-24 में 448.66 लाख मीट्रिक टन रखा गया हैं।
रबी उत्पादकता संगोष्ठी में जहां जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को मद्देनजर कृषि तकनीक अपनाने, उत्पादकता बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की राजनीति तैयार की गई वहीं सरकार ने किसानों निशुल्क बीज वितरण और अन्य कृषि निवेश उपलब्ध कराने में हर संभव मदद का आश्वासन दिया।