निगोहा क्षेत्र के गांव भैरमपुर में श्री मनकामेश्वर मंदिर पर चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा श्री कृष्णानंद मृदुल जी ने भागवत कथा का सार एवं तीसरे व दिन के प्रसंग में राजा परीक्षित जन्म का प्रसंग सुनाया। कथा में क्षेत्र के कई गांव के भक्त मौजूद रहे।
बताया कि जन्म लेते ही परीक्षित सबके चेहरे की ओर निहारने लगे परीक्षण करने लगे कि किस-किस को मैंने मां के गर्भ में देखा था गदा , पुष्प धारी, पीतांबरधारी श्यामवर्ण वह प्रभु कहां है। इसीलिए लोगों ने उनका नाम परीक्षित रख दिया श्री मृदुल ने कहा कि परीक्षित संसार का हर जीव है और काल रूपी तक्षक का श्राप हर जीव को लगा है जिसका ग्रास सभी को बनना है राजा परीक्षित जब राजा बन जाते हैं तभी कलयुग का प्रथम चरण शुरू होता है उन्होंने कहा कि कलयुग में भगवान को प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय भक्ति है भगवान का नाम जपे कभी भी किसी का बुरा ना करें कोई पाप न करें क्योंकि स्मरण रहे कि इस दुनिया में कर्मफल ही लेकर जाना है सद्कर्म के लिए ही भगवान ने हमें भेजा है किसी के साथ अच्छा न कर सको तो बुरा भी न करें किसी के जीवन में फूलना बरसा सके तो कांटे भी उसके रास्ते में न डालें। इस दौरान महाभारत के प्रसंगों का सचित्र वर्णन श्रोताओं को दिखाया गया जिससे श्रोता गण कथा सुन भाव विभोर हो गए।