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लखनऊ विकास प्राधिकरण खुद की पीठ पाकर स्वयं को कर रहा गौरवान्वित,सरकार को कर रहा गुमराह

अवैध निर्माण को ध्वस्त करने बजाय ज़ब्त करके सरकार का हो सकता है करोड़ों का फायदा और एलडीए से समाप्त हो सकता है भ्रष्टाचार का मकड़जाल,भ्रष्ट अधिकारियों की बंद होगी काली कमाई*

 

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में लगातार अवैध निर्माण को लेकर लगभग सभी जनपदों में शिकंजा कसता नजर आ रहा है और उन पर कड़ी कार्यवाही भी हो रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण के अधिकारी वैद्य-अवैद्य का खेल,खेल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार सख्त रवैया अपना रही है। जिसमें ध्वतीकरण की कार्यवाही की जा रही है,लेकिन अगर सरकार के हितैषी अधिकारी अगर चाहे तो सरकार को इन अवैध निर्माणों के माध्यम से करोड़ों अरबों का फायदा करवा सकते हैं और सरकार का राजस्व बच सकता है। इसके साथ ही साथ कई अन्य भी अवैध निर्माणों के माध्यम से सरकार को फायदा हो सकता है।

बतादें कि पूर्व की सरकारों में चाहे राजनीतिक संरक्षण में या माफियाओं द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण करवाया गया है।

उन्हें ध्वस्त न करके उनमें सरकारी कार्यालय खोला जा सकता है,स्कूल,हॉस्पिटल या अन्य कार्यालय खोला जा सकता है। चूंकि उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में कई ऐसे कार्यालय हैं जो वर्षों से किराए पर चल रहे हैं।

जिनमें सरकार को हर साल करोड़ों रुपए किराए का भुगतान करना पड़ता है,कई बार ऐसा भी होता है जब सरकार के द्वारा किसी बड़े कार्यक्रम का आयोजन होता है तो उनमें सरकार को जिस जनपद में कार्यक्रम होता है उस जनपद के होटलों को बुक करना पड़ता है। उसमें भी सरकार का लाखों का राजस्व लगता है,ऐसे में अवैध बनी हुई बिल्डिंगों में को ध्वस्त न करके उन पर सरकार अपना कब्जा जमा सकती है।

जैसे पुलिस और कस्टम चेकिंग के दौरान नगद नोट या सोना,चांदी किसी भी प्रकार की चल संपत्ति मिलने पर उसे नष्ट नहीं किया जा सकता है बल्कि उसे ज़ब्त कर लिया जाता है।

ऐसे में इसी तरह से अवैध निर्माणों को भी सरकार ज़ब्त करके सरकारी संपत्ति घोषित कर सकती है,जिसका लाभ सरकार को मिल सकता है,लेकिन विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारी सरकार को सही मार्गदर्शन नहीं देना चाहते हैं,क्योंकि उच्च अधिकारी नहीं चाहते कि सरकार को सही मार्गदर्शन मिले।

सरकार को किसी न किसी तरह से गुमराह करने का कार्य उच्च अधिकारी करते हैं।

वर्तमान समय में योगी सरकार की बुलडोजर की कार्यवाही अपने चरम पर है,जिसका खौफ सभी में साफ-साफ नजर आ रहा है,लेकिन किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करके सरकार का कोई फायदा नहीं होता है।

हालांकि इससे माफिया या अवैध अतिक्रमण कार्यों का हौसला गिरता है,लेकिन उच्च अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि सरकार को हमेशा ऐसी सलाह दें जिससे सरकार का राजस्व बढ़ सके। लेकिन ऐसा मुख्यमंत्री योगी के इर्द-गिर्द घूमने वाले उच्च अधिकारी नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि इससे इनकी काली कमाई नहीं हो सकती है। यही कारण है कि सरकार के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को सही बताते हैं। जबकि किसी भी अवैध संपत्ति को ध्वस्त ना कर उसे ज़ब्त करके सरकार करोड़ों रुपए के राजस्व का फायदा कर सकती है साथ ही साथ उसके अन्य बहुत से फायदे हो सकते हैं, लेकिन ऐसा अधिकारी नहीं चाहते।

अगर बात करें राजधानी लखनऊ की तो लखनऊ विकास प्राधिकरण आज भी वर्तमान समय में वर्ष 2010 के नियमावली के अनुसार कार्य कर रहा है। जबकि 2010 से लेकर वर्तमान समय में 2023 तक राजधानी लखनऊ की आबादी में कई गुना इजाफा हो चुका है साथ ही साथ लोग आवासीय समस्या से जूझ रहे हैं, लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी अपने नियमावली में बदलाव नहीं करना चाहते और सरकार को लगातार गुमराह करते नजर आ रहे हैं, इसके पीछे का केवल मात्र एक कारण है कि तथाकथित पत्रकारों और एलडीए के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत। अगर नई नियमावली लागू हो गई तो इनकी काली कमाई बंद हो जाएगी, जबकि वर्तमान समय में कम से कम जी प्लस फोर का नियम लागू कर राजधानी लखनऊ में बने सभी भवनों के मानचित्र को स्वीकृत हो सकतें हैं। जिससे सबसे पहला फायदा यह होगा कि राजधानी में लगभग सभी बिल्डिंग वैध हो जाएगी,इसके साथ ही आम जनमानस की आवासीय समस्या से निजात मिलेगा लोग आसानी से अपार्टमेंट के फ्लैट पर लोन पास करवा सकेंगे। राजधानी लखनऊ में तमाम ऐसे अपार्टमेंट बने हैं जो लखनऊ विकास प्राधिकरण के पुराने मानक की वजह से मानचित्र पास नहीं करवा पा रहे हैं,जिसकी वजह से उन बिल्डिंगों में रहने वाले लोग लगातार भय ग्रस्त रहते हैं,सरकार चाहे तो लखनऊ विकास प्राधिकरण समेत प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण की पुरानी नियमावली को समाप्त करके, नई नियमावली के अनुसार वर्तमान समय की बढ़ती जनसंख्या और उपजाऊ जमीन को बचाने के दृष्टि से नए मानक बनाकर सभी के मानचित्र पास कर दे,तो उसके कई फायदे हो सकते हैं।

सबसे पहला फायदा यह होगा कि भ्रष्ट अधिकारियों की काली कमाई बंद हो जाएगी और भ्रष्टाचार पर जबरदस्त लगाम लग जाएगा।

इसके साथ ही साथ तथाकथित पत्रकारों द्वारा की जा रही धन उगाही बंद हो जाएगी, वर्तमान समय में पत्रकारों की एक अलग फौज खड़ी हो गई है,जिनके पास केवल एक काम होता है बिल्डिंगों की फोटो खींचकर संबंधित जोन के अधिकारियों को फोटो भेजना और उनके साथ मिलकर बिल्डरों से धन उगाही करना,जो एलडीए के अधिकारियों के साथ मिलकर हर महीने लाखों रुपए की हेराफेरी करते हैं और यह हेराफेरी केवल इसलिए होती है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण अपने पुराने मानकों में बदलाव नहीं ला रहा और उसके पीछे का कारण केवल इतना है कि अगर मानक में बदलाव आ गया तो इनकी काली कमाई बंद हो जाएगी,लेकिन बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि हमारे प्रदेश के कर्मठ,इमानदार,निष्ठावान मुख्यमंत्री को भ्रष्ट अधिकारी केवल गुमराह करते हैं और अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की बात करके खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।

जबकि किसी भी अवैध निर्माण को जब्त करके सरकार को करोड़ों अरबों रुपए का फायदा करवा सकते हैं।

लेकिन अधिकारी ऐसा नहीं करना चाहते।

अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस अवैध अवैध पर खेल को समाप्त करते हैं, या अधिकारियों के बताए हुए रास्ते पर चलकर अधिकारियों के भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।

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