लखनऊ खबर दृष्टिकोण |उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 मे प्राविधानित विभिन्न सुविधाओ से खाद्य प्रसंस्करण उद्योगो को तो बढ़ावा मिलेगा ही, इसके साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार सृजन भी होगा। कहा कि खासतौर से कृषि उपज के प्रसंस्करण को बढ़ाना एवं अन्य राज्यों और देशों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात को प्रोत्साहित करना हमारा उद्देश्य है। इससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी। प्रदेश में फलों एवं सब्जियों का खाद्य प्रसंस्करण स्तर को बढ़ाने की नितान्त आवश्यकता है, जिससे प्रदेश से अधिकाधिक निर्यात स्तर के उत्पाद तैयार कराकर निर्यात कराया जा सके। उ0प्र0 सब्जी उत्पादन में देश के लगभग 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है, लेकिन प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात में भागीदारी केवल 5 प्रतिशत है, इसी प्रकार फल उत्पादन में उत्तर प्रदेश 11 प्रतिशत के हिस्सेदारी के साथ उत्पादन में तीसरे स्थान पर है, लेकिन प्रसंस्कृत फलों के निर्यात में हिस्सेदारी मात्र 0.4 प्रतिशत है नयी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति और इस क्षेत्र में आये निवेश प्रस्तावो से खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में नयी क्रान्ति आयेगी।नयी नीति में राज्य में नई खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना से सम्बंधित संयंत्र, मशीनीकरण, एवं तकनीकी सिंविल कार्यों पर किये गये व्यय का 35 प्रतिशत पूँजीगत सब्सिडी (अधिकतम 05 करोड़ तक )प्रदान की जायेगी। खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के विस्तार, आधुनिकीकरण / उन्नयन के लिए यह धनराशि 01 करोड़ तक प्रदान की जायेगी।प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे भेजे जाने वाले कृषि उत्पाद के लिए मंडी शुल्क और उपकर में छूट प्रदान की जायेगी। राज्य के बाहर से लाये गये कृषि उत्पादों पर मण्डी शुल्क एवं सेस से छूट रहेगी। रीफर वाहनों और मोबाइल प्री-कूलिग वैन की खरीद के लिए बैंक से लिये गये ऋण पर अर्जित ब्याज के लिए ब्याज उपादान प्रतिपूर्ति अधिकतम रु 50लाख, 5वर्षो की अवधि के लिए प्रदान की जायेगी। स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कृषि मूल्य श्रृंखला विकास, आच्छादन / उत्पादन / उत्पादकता के आंकलन और साक्ष्य आधारित निर्णय के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जायेगा।